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-चॉंदी-सोने से दो पल हैं, प्रिय देखॅूं या बात करूं ।
या बांहों में चाँद खिलाकर जगमग सारी रात करूं II
आज असंयम को बहलाऊॅं –‘मेरा पुण्य तुझे मिल जाये ।
जब मैं शांत, अशांत हृदय का पागल झंझावात करूं I।
गजरे का आडंबर तोडूँ , कुंतल शशि -मुख पर छा जाये I
मैं कर से उलझन सुलझाऊॅ, प्रेम -प्रकंपित गात करूं …
ContinueAdded by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 26, 2019 at 12:30pm — 3 Comments
‘सीते ---- ?’
‘कौन --- स्वामी ?’
‘नही मैं अभाग्य हूँ I’
‘ तो मुझसे क्या चाहती हो ?’
‘मैं कुछ चाहती नहीं , मैं तो तुम्हे सावधान करने आयी हूँ I ‘
‘किस बात के लिए ?’
‘तुम्हारा राम से बिछोह होगा I…
ContinueAdded by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 19, 2019 at 2:00pm — 6 Comments
‘क्या कहा कालेज की ओर से ट्रिप में जा रही हो I साथ में लडके भी होंगे ?’- माँ ने पूछा I
‘हां होंगे, तो क्या ? आजकल बहुतेरे उपाय हैं I आपकी नाक नहीं कटेगीI ‘
(मौलिक / अप्रकाशित )
Added by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on September 12, 2019 at 4:00pm — 4 Comments
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