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Dr. Chandresh Kumar Chhatlani's Blog – September 2015 Archive (2)

लोकतंत्र (लघुकथा)

आम बजट के सत्र के बाद लोकतांत्रिक सरकार ने लोकतंत्र के एक नये तरीके इन्टरनेट से बजट पर एक सर्वे द्वारा जनता की राय मांगी|

 

कोई भी उसे खोलता तो सबसे पहले लिखा मिलता, "आपके अनुसार बजट कैसा है?" जिसके तीन विकल्प थे - सर्वमान्य, औसत-मान्य और अमान्य| जो कोई प्रथम दो विकल्प में से कोई एक चुनता, नाम, पता और टिप्पणी पूछी जाती, लेकिन यदि कोई अंतिम विकल्प को चुनता तो उससे पूछा जाता, "इसका उत्तरदायी कौन है?" इसके दो विकल्प थे - सरकार और जनता|

 

जिस-जिसने जनता को चुना उन्हें…

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Added by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on September 20, 2015 at 9:30pm — 5 Comments

खो रही पहचान (लघुकथा)

उस चित्रकार की प्रदर्शनी में यूं तो कई चित्र थे लेकिन एक अनोखा चित्र सभी के आकर्षण का केंद्र था| बिना किसी शीर्षक के उस चित्र में एक बड़ा सा सोने का हीरों जड़ित सुंदर दरवाज़ा था जिसके अंदर एक रत्नों का सिंहासन था जिस पर मखमल की गद्दी बिछी थी|उस सिंहासन पर एक बड़ी सुंदर महिला बैठी थी, जिसके वस्त्र और आभूषण किसी रानी से कम नहीं थे| दो दासियाँ उसे हवा कर रही थीं और उसके पीछे बहुत से व्यक्ति खड़े थे जो शायद उसके समर्थन में हाथ ऊपर किये हुए थे|

सिंहासन के नीचे एक दूसरी बड़ी सुंदर महिला…

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Added by Dr. Chandresh Kumar Chhatlani on September 14, 2015 at 10:30pm — 9 Comments

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