For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Er. Ambarish Srivastava's Blog – October 2011 Archive (4)

आप सभी को दीपावली की बधाई व शुभकामनायें !

 

 

 

स्नेह मिलता रहे, दीप जलते रहें,



प्यार से हम सभी, रोज मिलते रहें,…

Continue

Added by Er. Ambarish Srivastava on October 25, 2011 at 12:30pm — 7 Comments

ग़ज़ल





मैं जुबां पर सिर्फ मैं, यह बात है अभिमान की,

छोड़ मैं को अब बनें हम बात ये ही ज्ञान की. |१|

 

जो किसी को भी न भातीं छोड़ दो वो आदतें,

दोस्तों अब फिक्र हो इस देश के सम्मान की.   |२|



माँ से हमको है मिलाया बाप का साया दिया,

हम चुका सकते नहीं कीमत तेरे एहसान की. |३|



जान देकर जो गये अपनी शहीदाने…

Continue

Added by Er. Ambarish Srivastava on October 19, 2011 at 12:30am — 8 Comments

ग़ज़ल

अदब के साथ जो कहता कहन है 

वो अपने आप में एक अंजुमन है

 

हमें धोखे दिये जिसने हमेशा

उसी के प्यार में पागल ये मन है

 

हुई है  दिल्लगी बेशक हमीं से 

कभी रोशन था उजड़ा जो चमन है

 

अँधेरे के लिए शमआ जलाये

जिया की बज्म में गंगोजमन है  

 

नज़र दुश्मन की ठहरेगी कहाँ अब

बँधा सर पे हमेशा जो कफ़न है 

 

खिले हैं फूल मिट्टी है महकती 

यहाँ पर यार जो मेरा दफ़न है 

 

कहाँ परहेज मीठे से हमें…

Continue

Added by Er. Ambarish Srivastava on October 2, 2011 at 12:30am — 19 Comments

हरिगीतिका



हरिगीतिका

(1)

मधु छंद सुनकर छंद गुनकर, ही हमें कुछ बोध है,

सब वर्ण-मात्रा गेयता हित, ही बने यह शोध है, 

अब छंद कहना है कठिन क्यों, मित्र क्या अवरोध है,

रसधार छंदों की बहा दें, यह मेरा अनुरोध है ||



(2)

यह आधुनिक परिवेश इसमें, हम सभी पर भार है,

यह भार भी भारी नहीं जब, संस्कृति आधार  है,

सुरभित सुमन सब है खिले अब, आपसे मनुहार है, 

निज नेह के दीपक जलायें, ज्योंति का…

Continue

Added by Er. Ambarish Srivastava on October 1, 2011 at 2:31am — 15 Comments

Monthly Archives

2013

2012

2011

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service