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Ram Awadh VIshwakarma's Blog – October 2017 Archive (4)

ग़ज़ल - करते हैं चोरी पर चोरी क्या कहने

फैलुन फैलुन फैलुन फैलुन फैलुन फा
22 22 22 22 22 2
करते हो चोरी पर चोरी क्या कहने।
ऊपर से ये सीनाजोरी क्या कहनै।

बातें तो करते हो बढ़चढ़कर लेकिन,
बातें हैं कोरी की कोरी क्या कहने।

लाँघ न पाई अपने घर की जो देहरी,
दौड़ रही वो गाँव की गोरी क्या कहने।

कार्टून फिल्में क्या आईं टीवी में,
बच्चे भूले माँ की लोरी क्या कहने।

कल जो साधू सन्त दिखाई देते थे,
वे सब निकले आज अघोरी क्या कहने।

मौलिक एवं अप्रकाशित

Added by Ram Awadh VIshwakarma on October 29, 2017 at 10:00pm — 13 Comments

ग़ज़ल - इश्क में जार जार रोते हैं

फाइलातुन मफाइलुन फैलुन

2122 1212 22



रात दिन बार बार रोते हैं।

इश्क में जार जार रोते हैं।



जब नशे में थे हम मज़े में थे,

जब से उतरा खुमार रोते हैं।



प्यार की अब पतंग नहीं उड़ती,

ठप्प है कारोबार रोते हैं।



आप से क्या मियाँ बताये हम

दिल हो जब बेकरार रोते हैं।



जब मैं रोता हूँ साथ में मेरे

सबके सब दोस्त यार रोते हैं।



वक्त बेवक्त उसके हाथों से,

जब भी पड़ती है मार रोते हैं।



अपने अपने सुभाव के… Continue

Added by Ram Awadh VIshwakarma on October 26, 2017 at 5:50am — 17 Comments

ग़ज़ल - इश्क में हो खुमार कुछ तो सही

बह्र - फाइलातुन मफाइलुन फैलुन

2122 1212 112 / 22

इश्क में हो खुमार कुछ तो सही।

उसमें आये निखार कुछ तो सही।



दर्देदिल का मज़ा है तब असली,

तीर हो दिल के पार कुछ तो सही।



हो भले झूठ मूठ का लेकिन,

उनसे हो प्यार वार कुछ तो सही।



आज फिर याद उनकी आई है,

दिल हुआ बेकरार कुछ तो सही।



बेवफाई हो जिसकी रग रग में,

वो भी हो शर्मसार कुछ तो सही।



जिन्दगी सौंप दूँ उसे लेकिन,

उसपे हो ऐतबार कुछ तो सही।



इश्क का भूत… Continue

Added by Ram Awadh VIshwakarma on October 23, 2017 at 5:51am — 8 Comments

ग़ज़ल - यूँ ही गाल बजाते रहिये

यूँ ही गाल बजाते रहिये।
भोंपू सा चिल्लाते रहिये।

अपना उल्लू सीधा करके,
दो का चार बनाते रहिये।

जिससे काम बने बस वो ही,
पट्टी रोज पढ़ाते रहिये।

सूरज उगने ही वाला है,
ये एहसास कराते रहिये।

हम प्रतिपालक हम हैं रक्षक,
चीख चीखकर गाते रहिये।

जीती बाजी हार न जायें,
दाँव पेंच दिखलाते रहिये।

जिनको राह के रोड़े समझें
उनको रोज हटाते रहिये।

मौलिक एवं अप्रकाशित रचना

Added by Ram Awadh VIshwakarma on October 20, 2017 at 7:50pm — 27 Comments

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