2122 2122
यूँ मुहब्बत हो गई है
गोया आफ़त हो गई है
बिन बताये जा रही हो
इतनी नफ़रत हो गयी है?
तुम भी चुप हो, मैं भी चुप हूँ
एक मुद्दत हो गयी है
नींद क्योंकर आए हमको?
अब तो उल्फ़त हो गयी है
पास मेरे आ गयी तुम
थोड़ी राहत हो गयी है
यूँ ख़ुदी से लड़ रहा हूँ
ज्यूँ बग़ावत हो गयी है
'ज़ैफ़' उसके जाते ही ये
क्या क़यामत हो गयी है!
(मौलिक…
ContinueAdded by Zaif on October 29, 2022 at 4:36am — 10 Comments
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