For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

AMAN SINHA's Blog – October 2022 Archive (5)

अपनी बोली

शिष्टाचार ही मिलती है पागलपन नहीं मिलता

गैरों की बोली में अपनापन नहीं मिलता

 

अपनी भाषा माँ का आँचल याद हमेशा आती है

द्वेष,क्रोध,विलाप हो जितना, हर भाव समझाकर जाती है

 

पर भाषा के बल पर चाहे समृद्ध जितने भी हो जाओ

पर वहाँ पर डटें रहने की दृढ़ता अपनी भाषा से हीं पाओ

 

किराए के मकान में कभी आँगन नहीं मिलता

गैरों की बोली में अपनापन नहीं मिलता

 

चाहे जितना लेख लिखो तुम, चाहे जितने…

Continue

Added by AMAN SINHA on October 31, 2022 at 9:38am — No Comments

अबके बरस जो आओगे

अबके बरस जो आओगे, तो सावन सूखा पाओगे

सूख चुके इन नैनों को तुम, और भींगा ना पाओगे

और अगर तुम ना आए, प्यास ना दिल की बुझ पाए

पत्थराई नैनों सा फिर, दिल पत्थर ना हो जाए

अबके बरस जो आओगे, बसंत शुष्क सा पाओगे

मन के उजड़े बागीचे में, एक फूल खिला ना पाओगे         

और अगर तुम ना आए, अटकी डाली ना गिर जाए

सूखे मुरझाए मन को मेरे, पतझर हीं ना भा…

Continue

Added by AMAN SINHA on October 25, 2022 at 1:12pm — 1 Comment

रोटी

भूख लगती है कभी जो, याद इसकी आती है

ना मिले तो पेट में फिर, आग सी लग जाती है

राजा हो या रंक देखो, इसके सब ग़ुलाम है

तीनो वक़्त खाने से पहले, करते इसे सलाम है

रुखी-सुखी जैसी भी हो, पेट यह भर जाती है

चाह में अपनी हर किसी, को राह से भटकाती है

जिसने इसको पा…

Continue

Added by AMAN SINHA on October 17, 2022 at 11:21am — 3 Comments

अपराधी

हाँ-हाँ मैं अपराधी हुँ बस, अधर्म करने का आदि हूँ

पर मुझको खुद पर लाज नहीं, जो किया मैं उसपर गर्वित हुँ

जो देखा सब यहीं देखा, जो सीखा सब यहीं सीखा

मैं माँ के पेट का दोष नहीं, ना हीं मैं सुभद्रा का बेटा

 

दूध की प्याली के खातिर, मैंने माँ को बिकते देखा है

अपने पेट की भूख मिटाने, बाप से पिटते देखा है

फटें कपड़ो से तन को ढकते, बहनों के संघर्ष…

Continue

Added by AMAN SINHA on October 10, 2022 at 10:34am — No Comments

ना तुझे पाने की खुशी ना तुझे खोने का ग़म

ना तुझे पाने की खुशी, ना तुझे खोने का ग़म 

मिल जाए तो मोहब्बत, ना मिले तो कहानी है 

ना आँखों में आँसू और ना चेहरे पर पानी  

बेचैन मोहब्बत में, बदनाम जवानी है 

ना तेरे साथ की चाहत,…

Continue

Added by AMAN SINHA on October 4, 2022 at 12:38pm — 3 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
15 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई रवि जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई रवि जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन।बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई दिनेश जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई दिनेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service