शिष्टाचार ही मिलती है पागलपन नहीं मिलता
गैरों की बोली में अपनापन नहीं मिलता
अपनी भाषा माँ का आँचल याद हमेशा आती है
द्वेष,क्रोध,विलाप हो जितना, हर भाव समझाकर जाती है
पर भाषा के बल पर चाहे समृद्ध जितने भी हो जाओ
पर वहाँ पर डटें रहने की दृढ़ता अपनी भाषा से हीं पाओ
किराए के मकान में कभी आँगन नहीं मिलता
गैरों की बोली में अपनापन नहीं मिलता
चाहे जितना लेख लिखो तुम, चाहे जितने…
ContinueAdded by AMAN SINHA on October 31, 2022 at 9:38am — No Comments
अबके बरस जो आओगे, तो सावन सूखा पाओगे
सूख चुके इन नैनों को तुम, और भींगा ना पाओगे
और अगर तुम ना आए, प्यास ना दिल की बुझ पाए
पत्थराई नैनों सा फिर, दिल पत्थर ना हो जाए
अबके बरस जो आओगे, बसंत शुष्क सा पाओगे
मन के उजड़े बागीचे में, एक फूल खिला ना पाओगे
और अगर तुम ना आए, अटकी डाली ना गिर जाए
सूखे मुरझाए मन को मेरे, पतझर हीं ना भा…
ContinueAdded by AMAN SINHA on October 25, 2022 at 1:12pm — 1 Comment
भूख लगती है कभी जो, याद इसकी आती है
ना मिले तो पेट में फिर, आग सी लग जाती है
राजा हो या रंक देखो, इसके सब ग़ुलाम है
तीनो वक़्त खाने से पहले, करते इसे सलाम है
रुखी-सुखी जैसी भी हो, पेट यह भर जाती है
चाह में अपनी हर किसी, को राह से भटकाती है
जिसने इसको पा…
ContinueAdded by AMAN SINHA on October 17, 2022 at 11:21am — 3 Comments
हाँ-हाँ मैं अपराधी हुँ बस, अधर्म करने का आदि हूँ
पर मुझको खुद पर लाज नहीं, जो किया मैं उसपर गर्वित हुँ
जो देखा सब यहीं देखा, जो सीखा सब यहीं सीखा
मैं माँ के पेट का दोष नहीं, ना हीं मैं सुभद्रा का बेटा
दूध की प्याली के खातिर, मैंने माँ को बिकते देखा है
अपने पेट की भूख मिटाने, बाप से पिटते देखा है
फटें कपड़ो से तन को ढकते, बहनों के संघर्ष…
ContinueAdded by AMAN SINHA on October 10, 2022 at 10:34am — No Comments
ना तुझे पाने की खुशी, ना तुझे खोने का ग़म
मिल जाए तो मोहब्बत, ना मिले तो कहानी है
ना आँखों में आँसू और ना चेहरे पर पानी
बेचैन मोहब्बत में, बदनाम जवानी है
ना तेरे साथ की चाहत,…
ContinueAdded by AMAN SINHA on October 4, 2022 at 12:38pm — 3 Comments
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