जीवन ....दोहे
झुर्री-झुर्री पर लिखा, जीवन का संघर्ष ।
जरा अवस्था देखती, मुड़ कर बीते वर्ष ।।
क्या पाया क्या खो दिया, कब समझा इंसान ।
जले चिता के साथ ही, जीवन के अरमान ।।
कब टलता है जीव का, जीवन से अवसान ।
जीव देखता रह गया, जब फिसला अभिमान ।।
देर हुई अब उम्र की, आयी अन्तिम शाम ।
साथ न आया काम कुछ ,बीती उम्र तमाम ।।
जीवन लगता चित्र सा, दूर खड़े सब साथ ।
संचित सब छूटा यहाँ, खाली दोनों हाथ…
Added by Sushil Sarna on October 17, 2023 at 9:30pm — 6 Comments
लेबल्ड मच्छर ......(लघु कथा )
"रामदयाल जी ! हमें तो पता ही नही था कि हमारे मोहल्ले से मच्छर गायब हो गए हैं सिर्फ पार्षद के घर के अलावा ।" दीनानाथ जी ने चाय की चुस्की लेते हुए कहा ।
"वो कैसे ।" रामदयाल जी बोले ।
"वो क्या है रामदयाल जी । आज सवेरे में छत पर पौधों को पानी दे रहा था कि अचानक मुझे नीचे कोई मशीन चलने की आवाज सुनाई दी । नीचे देखा तो देख कर दंग रह गया ।"
"क्यों? क्या देखा दीनानाथ जी । पहेलियाँ मत बुझाओ ।साफ साफ बताओ यार ।" रामदयाल जी बोले…
ContinueAdded by Sushil Sarna on October 15, 2023 at 8:05pm — No Comments
दोहा पंचक. . . . .
तर्पण को रहता सदा, तत्पर सारा वंश ।
दिये बुजुर्गो को कभी, कब मिटते हैं दंश ।।
तर्पण देने के लिए, उत्सुक है परिवार ।
बंटवारे के आज तक, बुझे नहीं अंगार ।।
लगा पुत्र के कक्ष में, मृतक पिता का चित्र ।
दम्भी सिर को झुका रहा, उसके आगे मित्र ।।
देह कभी संसार में, अमर न होती मित्र ।
महकें उसके कर्म ज्योँ , महके पावन इत्र ।।
तर्पण अर्पण कीजिए, सच्चे मन से यार ।
चला गया वो आपका,…
Added by Sushil Sarna on October 9, 2023 at 1:30pm — No Comments
ईमानदारी ....
"अरे भोलू ! क्या हुआ तेरे पापा 4-5 दिन से दूध देने नहीं आ रहे ।"सविता ने भोलू के बेटे को दूध का भगोना देते हुए पूछा ।
"वो बीवी जी, पापा की साइकिल कुछ खराब हो गई इसलिए मैं दूध देने आ गया ।" भोलू के बेटे ने भगोने में दूध डालते हुए कहा ।
"अच्छा , अच्छा यह बता जब से तुम दूध दे रहे हो दूध इतना पतला क्यों है ? पापा तो दूध गाढ़ा लाते थे ।"
सविता ने कहा ।
"बीवी जी, यह साइकिल नहीं फटफटिया है । अगर दूध गाढ़ा बेचेंगे तो फटफटिया कैसे चलायेंगे…
ContinueAdded by Sushil Sarna on October 8, 2023 at 1:30pm — 2 Comments
भिखारी छंद -
24 मात्रिक - 12 पर यति - पदांत-गा ला
मन से मन की बातें, मन करता मतवाला ।
मन में हरदम जलती , इच्छाओं की ज्वाला ।
भोगी मन तो चाहे , बाला की मधुशाला ।
पी कर मन ये नाचे , नैन नशीली हाला ।
××××××
उल्फ़त की सौगातें, आँखों की बरसातें ।
तन्हा - तन्हा बीती , भीगी - भीगी रातें ।
जाकर फिर कब आते , बीते दिन मतवाले ।
दिल को बहुत सताते , खाली-खाली प्याले ।
सुशील सरना /5-10-23…
ContinueAdded by Sushil Sarna on October 5, 2023 at 2:38pm — No Comments
मनका / वर्णिका छंद - तीन चरण, पाँच-पाँच वर्ण प्रत्येक चरण,दो चरण या तीनों चरण समतुकांत
मस्त जवानी
फिर न आनी
हसीं कहानी !
*
आई बहार
अलि गुँजार
पुष्प शृंगार !
*
झड़ते पात
अन्तिम रात
एक यथार्थ !
*
मुक्त विहार
काम विकार
देह व्यापार!
*
घोर अँधेरा
छुपा सवेरा
स्वप्न का डेरा !
सुशील सरना 3-10-23
मौलिक एवं अप्रकाशित
Added by Sushil Sarna on October 3, 2023 at 1:24pm — 2 Comments
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