२१२२ २१२२ २१२२ २१२२ - रमल मुसम्मन सालिम
जो ख़ुशी से दान दे वो ग़म कभी करता नही है।
जो किसी पे जान दे वो आह भी भरता नहीं है ।
है अगर दिल में ख़ुशी तो चैन से सोते सभी हैं,
गम समाया है कहीं तो नींद भी भरता नहीँ है ।
हार हो या जीत हो ये तो कहीं वश में नहीं है ,
दिल लगाकर छोड़ देता वो कभी डरता नहीं है।
राह में चलते हुए भी घर बसा लेते कहीं भी ,
रेत का घर जब गिरे ग़म कोई भी हरता नहीं है ।
फूल हो जब डाल पे झूमे हवा में हर ख़ुशी में ,
तोड़ कर कोई रखे जब आह…
Added by Shyam Narain Verma on November 21, 2015 at 4:30pm — 2 Comments
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