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डॉ. अनुराग सैनी's Blog – November 2013 Archive (2)

छोड़ दी है हमने दुनिया तेरी ख़ुशी के लिए ---ग़ज़ल

छोड़ दी है हमने दुनिया तेरी ख़ुशी के लिए 

जी ना सकेंगे अब हम किसी के लिए

तेरा मिलना बिछड़ना तो एक ख्वाब था 

हम तो तरसते रहे तेरी हंसी के लिए

तेरी जुदाई से बढ़कर कोई गम नहीं 

जख्म काफी है ये ही मेरी जिंदगी के लिए

जिसे खुदा माना उसी ने ना समझा अपना 

अब कोई खुदा नहीं यहाँ बंदगी के लिए

बहुतो को क़त्ल होते देखा उसके हाथों तो जाना 

बहुत नाम कमाया है उसने अपनी दरंदगी के लिए

फिर आज एक हसीं को…

Continue

Added by डॉ. अनुराग सैनी on November 18, 2013 at 7:00pm — 10 Comments

बदलाव

 वस्ल की उस रात को जमाने गुजर गए

शराब अभी भी वही है बस पैमाने बदल गए

 

शाम की गुल रंग हवा का कुछ ऐसा असर है

लबो पे सजे गम के सब तराने बदल गए  

 

अब कौन संभालेगा कौन गले से लगाएगा

बचपन के वो सब दोस्त पुराने बदल गए

 

अब कौन यहाँ जबान और कुल है देखता

अब तो वो चोहद्दर वो राजघराने बदल गए

 

अब चढ़ते छप्पर को हाथ लगाने कोई नहीं आता

अब तो गाँव के वो सीधे लोग सयाने बदल गए

 

मौलिक व अप्रकाशित

Added by डॉ. अनुराग सैनी on November 15, 2013 at 9:30pm — 9 Comments

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