छोड़ दी है हमने दुनिया तेरी ख़ुशी के लिए
जी ना सकेंगे अब हम किसी के लिए
तेरा मिलना बिछड़ना तो एक ख्वाब था
हम तो तरसते रहे तेरी हंसी के लिए
तेरी जुदाई से बढ़कर कोई गम नहीं
जख्म काफी है ये ही मेरी जिंदगी के लिए
जिसे खुदा माना उसी ने ना समझा अपना
अब कोई खुदा नहीं यहाँ बंदगी के लिए
बहुतो को क़त्ल होते देखा उसके हाथों तो जाना
बहुत नाम कमाया है उसने अपनी दरंदगी के लिए
फिर आज एक हसीं को…
ContinueAdded by डॉ. अनुराग सैनी on November 18, 2013 at 7:00pm — 10 Comments
वस्ल की उस रात को जमाने गुजर गए
शराब अभी भी वही है बस पैमाने बदल गए
शाम की गुल रंग हवा का कुछ ऐसा असर है
लबो पे सजे गम के सब तराने बदल गए
अब कौन संभालेगा कौन गले से लगाएगा
बचपन के वो सब दोस्त पुराने बदल गए
अब कौन यहाँ जबान और कुल है देखता
अब तो वो चोहद्दर वो राजघराने बदल गए
अब चढ़ते छप्पर को हाथ लगाने कोई नहीं आता
अब तो गाँव के वो सीधे लोग सयाने बदल गए
मौलिक व अप्रकाशित
Added by डॉ. अनुराग सैनी on November 15, 2013 at 9:30pm — 9 Comments
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