अरकान – 2122 12 12 22
कुछ भी मिलता न सच बताने से |
फिर तो हम क्यों कहें ज़माने से|
कोशिशें लाख हमने की लेकिन,
इश्क छुपता नहीं छुपाने से|
कहकहे उनके गूंजते हरज़ा,
हम तो डरते हैं मुस्कुराने से
लाख सोचा कि भूल जाऊँ पर,
याद आते हो तुम भुलाने से|
मिन्नतें मैंने लाख की लेकिन
क्या मिला मुझको सर झुकाने से
या ख़ुदा कुछ न पा सका ‘मिंटू’
रायगाँ ज़िन्दगी गँवाने से…
ContinueAdded by DR. BAIJNATH SHARMA'MINTU' on November 27, 2016 at 8:30pm — 4 Comments
अरकान – 212 2 122 122 12
काले बादल कभी जब बिखर जायेंगे |
ए नजारे भी बेशक बदल जायेंगे |
मुस्कुरा के ना देखो हमें आज यूँ,
दिल के अरमाँ हमारे मचल जायेंगे|
हमको मारो न खंज़र से ऐ महज़बी,
रूठ जाओ तो हम यूँ ही मर जायेंगे|
आके देखो कभी तुम हमारी गली,
ए इरादे तुम्हारे बदल जायेंगे|
लैला-मजनू हैं क्या शीरी फरहाद क्या,
प्यार में हम भी हद से गुज़र जायेंगे|
संग दिल हैं वे…
ContinueAdded by DR. BAIJNATH SHARMA'MINTU' on November 25, 2016 at 11:30am — 4 Comments
2122 2122 2122 212
दर्द लिखता था मैं अपना और तराना बन गया|
इस तरह लिखने का देखो इक बहाना बन गया|
मैं परिंदा था अकेला मस्त रहता था यहाँ
एक दिन नज़रों का उनकी मैं निशाना बन गया |
है बड़ा कमजर्फ वो भी देखिये इस दौर में ,
डालकर हमको कफस में ख़ुद सयाना बन गया|
दासतां मत पूछिये हमसे हमारे प्यार की
काम उनका रूठना अपना मनाना बन गया|
जिंदगी की राह में मैं भी अकेला था मगर,
हमसफ़र…
ContinueAdded by DR. BAIJNATH SHARMA'MINTU' on November 14, 2016 at 10:00pm — 10 Comments
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |