तुम्हे शिकायत है
इस गहरे अँधेरे से ,
पर क्या तुमने कोशिश की
एक दिया जलाने की ?
या मेरे हाथों से हाथ मिलाकर
बनाया कोई सुरक्षा घेरा
कुछ जलते दीयों को
हवा से बचाने के लिए ?
नही न ?
कोई बात नहीं !
अभी सूखा नही है
समय का फूल !
चलो ढूँढे !
समंदर में डूबे सूरज को ,
इकठ्ठा करें
एक मुट्ठी धूप ,
उछाल दें पर्वतों पर ,
घाटियों में भी !
खिला…
ContinueAdded by Arun Sri on December 16, 2011 at 12:30pm — 26 Comments
झील हर इक कतरे को झूठ बताएगी
मछली निज आँसू किसको दिखलाएगी
लब पर कुछ झूठी मुस्काने चिपकाकर
कब तक वो अपने दिल को बहलाएगी
उसकी किस्मत में जीवन भर रातें है
वो भी आखिर कितने ख्वाब सजाएगी
हम दोनों को ही कोशिश करनी होगी
किस्मत हमको कभी नही मिलवाएगी
................................,... अरुन श्री !
Added by Arun Sri on December 14, 2011 at 11:30am — 4 Comments
क्यों मिली है कुछ पलों को बागवानी फूल की
उम्र भर कहते रहेंगे हम कहानी फूल की
वो मेरे सीने से लगकर हाले-दिल कहते रहे
फूल सी बातें सुनी हमने जुबानी फूल की
मनचले भवरे चमन के पास मंडराने लगे
चुभ रही है आँख में सबके जवानी फूल की
खौफ-ए-गुलचीन-ओ-खिज़ा के साए में हसती रहे
मैं समझ पाया न तबियत की रवानी फूल की
आज चाँदी की चमक से बागवान अँधा हुआ
पाँव के नीचे कटेगी अब जवानी फूल की
उजड़े हुए बाग-ए-मुहब्बत को हैं…
Added by Arun Sri on December 7, 2011 at 10:32am — No Comments
आज अचानक मिला मुझे एक दोस्त पुराना
नई राह पर,
हाँथ मिलाया, गले मिले फिर
एक दूजे का हाल सुना,
कुछ मौसम की बात हुई
कुछ अपने परिवारों की
आहिस्ते-आहिस्ते जो अब टूट रहे है,
उन रिश्तों का जिक्र हुआ
जो अर्थहीन होने वाले है,
और कुछ खुशियों की बात हुई,
फिर उसने मुझसे पूछ लिया
"क्या अब भी लिखते हो" ?
मै चुप था
सोच रहा था सच न बताऊँ,
और नहीं बताया !
कैसे कहता ?
मन में बनते गीत दबा…
ContinueAdded by Arun Sri on December 4, 2011 at 1:41pm — 3 Comments
तू कभी मुश्किलों से डरना मत
या मेरी राह से गुजरना मत
दर्द जीवन में मिले तो उसको
समेट लेना मगर बिखरना मत
सुलाया खंजरों के बिस्तर पर
और कहते है आह भरना मत
मैंने ये तो नही कहा तुमसे
न रहूँ मैं तो तुम संवारना मत
मै बहकने लगूं कभी भी अगर
तुमको मेरी कसम संभलना मत
आतिश-ए-इश्क से भरा हूँ मैं
मोम है तू मगर पिघलना मत
............................................ अरुन श्री !
Added by Arun Sri on December 1, 2011 at 12:48pm — 2 Comments
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |