आज भी मैं वही फूल हूँ ,
जो कल था खिला हुआ ,
था आँखों का तारा ,
था हर एक से घिरा हुआ ,
हर कोई चाहे लेना ,
मुझे हाथों हाथों में ,
मैं खुश यूँ ही होता रहा ,
उनकी प्यारी बातों में ,
कोई चाहे रहूँ मैं ,
देवों का होकर ,
कोई चाहे प्रियतम का हार बनूँ ,
पता नहीं कब फिसल गया ,
सब की नज़र से उतर गया ,
अब वो चमक नहीं रही ,
धुल धूसरित मैं पड़ा रहा ,
अपने विमुख हुए हमसे…
ContinueAdded by Rash Bihari Ravi on December 5, 2011 at 11:30am — 4 Comments
सुमन अपने सास को फोन कर रही थी तभी उसकी सहेली किरण वहाँ आ गई , सुमन उसे बैठने के लिए इशारा कर फोन पर बात करने लगी
"माँ जी, आप आ जाइये पप्पू रोज सुबह शाम आप को याद करता हैं .......
हाँ हाँ ! ये भी अपनी माँ को आपने पास पा कर बहुत खुश होंगे , ....
हाँ तो माँ जी आप कब आ रही हो ?
रविवार को ?
ठीक हैं माँ जी मैं इनको स्टेशन भेज दूंगी !"
चेहरे पर मुस्कान लिए फोन रख किरण से बोली
"कैसे आना हुआ ?"
किरण बोली
"तू आपने सास के आने पर…
ContinueAdded by Rash Bihari Ravi on December 1, 2011 at 12:30pm — 4 Comments
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