For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Janki wahie's Blog – December 2015 Archive (6)

बेरोज़गारी - लघुकथा (जानकी बिष्ट वाही )

ठक-ठक की तेज़ आवाज़ के साथ वह सामने आ खड़ा हुआ।

" ओ बाबू अँधेरे में क्यों बैठे हो ? घर जाओ । अरे ! ऐसे क्या देख रहे हो?
क्या नाम है तुम्हारा ?"

" बेरोज़गारी ।"
पीछे से आवाज़ सुनाई दी -
" लगता है पगला गया है बेचारा ।"


मौलिक एवम् अप्रकाशित

Added by Janki wahie on December 23, 2015 at 11:11pm — 2 Comments

बेरोज़गारी - लघु कथा ( जानकी बिष्ट वाही )

" अरविन्द ! लो तुम्हारी पसन्द की खीर ।"

" माँ ! आज़ खीर ? कोई खास बात है क्या ?"

" हाँ बेटा ! मेरे लिए तो खास ही है। आज़ तुम्हारा जन्मदिन है।तुम कैसे भूल गए ? याद है बचपन में महीने भर पहले से जन्मदिन मनाने और पसन्द की चीजों का आग्रह शुरू हो जाता था।"



" हाँ माँ ! वे दिन ही अच्छे थे ,मस्त। न कोई फ़िक्र न कोई उलझन।

जाने कहाँ उड़ गए पँख लगा कर।"



" ऐसे उदास नहीं होते बेटा ! "माँ का गला रुंध आया ।

" माँ ! हर सुबह मुझे डराती है। आईना मुझे नहीं भाता ।हर जन्मदिन… Continue

Added by Janki wahie on December 23, 2015 at 5:05pm — 1 Comment

पिज़र - लघु कथा जानकी बिष्ट वाही

" छाना बिलौरी झन दिया बौज्यू , लागला बिलौरी को घामा ." ( बेटी अपने पिता से कहती है।मेरा ब्याह छाना बिलौरी गाँव में मत करना।वहाँ की जानलेवा धूप में काम नहीं कर पाऊँगी।) गुनगुनाती हुई बसन्ती पीठ में लकड़ियों का बोझ उठाये पाले से आच्छादित रास्ते पर एक सार लय में पावँ जमा-जमा कर जंगल से नीचे उत्तर रही है।जरा सी लापरवाही उसे नीचे गरजती -उफनती काली नदी में विलीन कर देगी।



"आज़ बबा होते तो उसे ये सब क्यों करना पड़ता?" कुहासे बादलों की तरह यादें मन में घुमड़ने लगी।बबा चाहते थे बसन्ती खूब… Continue

Added by Janki wahie on December 19, 2015 at 7:16am — 6 Comments

ख़ूबसूरती (लघु कथा ) जानकी बिष्ट वाही

विशाल प्राँगण की खूबसूरत बुलन्द इमारत की मुंढेर पर बैठा ब्लड कैंसर उदासी के साथ नीचे कड़ाके की ठण्ड में काँपते मरीज़ों के परिजनों को देख रहा है।



" इतने मायूस क्यों हो भाई ? "थके स्वर में दिल की बीमारी ने पूछा।



" बहन ! बारह साल का बच्चा अंतिम सांसें गिन रहा है। मेरे नाम एक और मौत दर्ज़ होने जा रही है।"



" ये तो यहाँ का रोज़ का ही काम है।मेरा भी दिल दुखी हो जाता है।"



तभी वहाँ किडनी की बीमारी आ गई

" मैं तो असमंजस में हूँ।अभी तक कोई डोनर नहीं मिला। न… Continue

Added by Janki wahie on December 17, 2015 at 10:50am — 11 Comments

अपराधी - लघु कथा ( जानकी बिष्ट वाही)

सांझी गली में सीढ़ियों के नीचे उसने अपनी गृहस्थी ज़मा ली। फ़टे- पुराने कपड़े,पुराना कम्बलऔर टूटे दो बर्तन।

धूप में बाल सुखाती, एक कॉपी में जाने क्या लिख रही थी। पूरा मोहल्ला आते-जाते कौतुहल से उसे देख रहा है।

चिथड़ों में लिपटी पगली बस स्टेशन के पास भीख मांगती थी।किसी ने उसे बोलते नहीं सुना था।छेड़ने पर पत्थर मारती थी।



"तुम ! यहाँ रहोगी ?" सुषमा ने पास जाकर पूछा।

उसने डरी -डरी आँखों से देखा कि कहीं मैं उसे दुत्कार न दूँ।फिर आश्वस्त होकर बोली -

" हाँ "

" कहाँ… Continue

Added by Janki wahie on December 14, 2015 at 4:01pm — 3 Comments

मायरा ( लघु कथा ) जानकी बिष्ठ वाही

मानों कयामत बरपा हो गई। पूरा शहर लबालब भरा है।चारों ओर त्राही-त्राही मची हुई है। शिवानी प्रसव वेदना से तड़प रही है। शरद पैदल ही उसे अस्पताल ले जा रहा है

"अब बचना मुश्किल है।"कराहते हुए शिवानी बोली।

पानी गले-गले तक पहुँच गया।जीवन की आशा क्षीण हो चली है। एक अज़नबी तैरता हुआ करीब आया।

"मैं आप लोगों को सुरक्षित जगह पहुंचाने आया हूँ।"

उसकी मदद से शरद समय पर शिवानी को अस्पताल पहुंचाने में सफ़ल हो गया।

"शुक्रिया ! आज़ तुम न होते तो जाने क्या होता? "शरद ने कहा।

"ये तो…

Continue

Added by Janki wahie on December 10, 2015 at 5:30pm — 10 Comments

Monthly Archives

2017

2016

2015

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"शीत लहर ही चहुँदिश दिखती, है हुई तपन अतीत यहाँ।यौवन  जैसी  ठिठुरन  लेकर, आन …"
22 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सादर अभिवादन, आदरणीय।"
28 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 161 in the group चित्र से काव्य तक
"सभी सदस्यों से रचना-प्रस्तुति की अपेक्षा है.. "
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post दीप को मौन बलना है हर हाल में // --सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। लम्बे अंतराल के बाद पटल पर आपकी मुग्ध करती गजल से मन को असीम सुख…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Nov 17
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Nov 17
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Nov 17

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service