इन जुगनू सी यादों पे जोर नहीं है
गर्म अश्कों के बहने में शोर नहीं है l
किसी काफ़िर का होता नहीं ठिकाना
आज यहाँ है तो कल ठौर कहीं है l
दो बूँदे पीकर कभी प्यास ना बुझती
प्यासे सहरे का दिखता छोर नहीं है l
मालों ने गाँव की है बदल दी दुनिया
अब छोटा सा दिखता स्टोर नहीं है l
हर बात में नुक्स निकालना है सहज
करने को कुछ कहो तो जोर नहीं है l
-शन्नो अग्रवाल
Added by Shanno Aggarwal on December 6, 2012 at 1:57am — 10 Comments
जो सोने की चिड़िया था सो रहा है
जिसे रोना ना चाहिये वो रो रहा है l
इस दुनिया का है कुछ अजब कायदा
अब लोगों को जाने क्या हो रहा है l
नये जमाने में खो गयी सादगी कहीं
बस बोझ जीने का इंसान ढो रहा है l
मन में खोट और रिश्तों में है चुभन
यहाँ अपना ही अपनों को खो रहा है l
जहाँ उगे कभी मोहब्बत के थे शजर
वहाँ काँटों का जंगल अब हो रहा है l
कितनी गंगा हुई मैली जानते सभी
पर उसमें…
ContinueAdded by Shanno Aggarwal on December 5, 2012 at 3:57am — 3 Comments
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