अनंग शॆखर छन्द =
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कभी डरॆ नहीं कभी मरॆ नहीं सपूत वॊ, प्रचंड वृष्टि बर्फ और ताप मॆं खड़ॆ रहॆ ॥
हिमाद्रि-तुंग बैठ शीत संग तंग हाल मॆं, सपूत एकता अखण्डता लियॆ अड़ॆ रहॆ ॥
प्रहार रॊज झॆलतॆ अशांति कॆ कुचाल कॆ, सदा निशंक काल-भाल वक्ष पै चढ़ॆ रहॆ ॥
अखंड भारती सुहासिनीं सुभाषिणीं कहॆ, सभी अघॊष युद्ध वीर शान सॆ लड़ॆ रहॆ ॥
कवि-"राज बुन्दॆली"
17/12/2013
पूर्णत: मौलिक एवं अप्रकाशित रचना,,,,…
ContinueAdded by कवि - राज बुन्दॆली on December 17, 2013 at 4:30pm — 16 Comments
पञ्च चामर छन्द = की विधा मॆं मॆरा
प्रथम प्रयास आप सबकॆ श्री चरणॊं मॆं
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रुदान्त कंठ मातृ-भूमि वॆदना पुकारती,
प्रकॊप-दग्ध दॆश-भक्ति भावना हुँकारती,
वही सपूत धन्य भारती पुकारती जिसॆ,
अखंड सत्य-धर्म साधना सँवारती जिसॆ,
करॊ पुनीत कर्म ज़िन्दगी सँवारतॆ चलॊ ॥
सुहासिनीं सुभाषिणीं सदा पुकारतॆ चलॊ ॥१॥
खड़ा रहा अड़ा रहा डरा नहीं कु-काल सॆ,
डटा रहा नहीं हटा हिमाद्रि तुंग भाल…
Added by कवि - राज बुन्दॆली on December 16, 2013 at 4:30pm — 14 Comments
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