“वर्मा साहब, एक बात समझ में नहीं आयी, आपने फ़िल्म प्रोडक्शन पर अधिक और फ़िल्म प्रमोशन एवं मिडिया मैनेजमेंट पर मामूली बजट का प्रावधान किया है, जबकि आजकल तो प्रमोशन पर प्रोडक्शन से कहीं अधिक बजट खर्च किये जा रहे हैं.”
“डोंट वरी दादा ! कम प्रमोशनल बजट में भी फ़िल्म हिट करवाई जा सकती है.”
“अच्छा अच्छा, मतलब आप फ़िल्म में आइटम डांस वगैरह डालने वाले है.”
“नो नो, इटिज वेरी ओल्ड ट्रेंड”
“तो अवश्य कोई किसिंग या बोल्ड बेड सीन दिखाने को सोच रहे हैं.”
“अरे नहीं दादा इसमें नया क्या…
Added by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 28, 2014 at 4:30pm — 57 Comments
छंद : घनाक्षरी
झट छायी चिंता-रेखा,
नीला-नीला पाँव देखा,
पहुँचे करीम चच्चा, शफ़ाख़ाना आस में.
देखते हकीम बोला,
पाँव में ज़हर फैला,
दोनों पाँव काट डाले, ज़िन्दग़ी की आस में.
बात हुई ज़ल्द साफ़,
कट गये पर पाँव,
डरता हकीम आया, चच्चा जी के पास में.
सुनो जी करीम भाई,
बात ये समझ आई,
लुंगी रंग छोड़ रही, बोला एक साँस में.…
Added by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 22, 2014 at 12:00pm — 33 Comments
अतुकांत कविता : केसर के फूल
चौक गया
यह देखकर
स्कूल के फर्श पर
फैला गाढ़ा रंग
बिलकुल वैसा ही था
जैसा
कुछ वर्ष पहले था
मुंबई के प्लेटफॉर्म पर
कोई अंतर नहीं
एकदम सुर्ख़ लाल रंग
उपजाऊ भूमि
बो दिया बारूद
इस उम्मीद में
कि .........
केसर फूलेंगे ।
(मौलिक व अप्रकाशित)
पिछला पोस्ट…
Added by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 19, 2014 at 12:00am — 24 Comments
Added by Er. Ganesh Jee "Bagi" on December 3, 2014 at 12:13pm — 33 Comments
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