दुःख बिसराये
सुख को लाये
ऐसा गीत गाऊँ मैं
खट्टी मीठी यादों को
थोड़ा सा गुन गुनाऊं मैं
दूर खड़ा पर्वत पुकारे
चलकर उसतक जाऊं मैं
बादलों से बरसे पानी
झूम झूम कर नाचूँ मैं
खेत बुलाये, परिंदे पुकारें
बोली उनकी समझूँ मैं
नाच उठे मनवा मेरा
गीत ऐसा कोई गाऊँ मैं |
बहती नदी , बहता झरना
कलकल इनकी सुन लूँ मैं
किनारे से टकराती लहरों से
कुछ देर बातें कर लूँ मैं
देखकर वहां गोरी कलाई…
Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on December 31, 2016 at 9:30pm — 19 Comments
मेरे दिल के जज़्बात साथ नहीं देते हैं
और आँसू भी अपनी बात कहते हैं ।
ना जाने नम सी आँखें रहती हैं
और दर्द की पीर आँखें सहती हैं
देखकर बेवफाई यह रोती है
तन्हाई के हर सितम सहती हैं ।
रात की अँधियारी में कभी रोती हैं
कभी काँधे पे सर रख सोती हैं
अश्क बन जब जब दिखाई देतीं हैं
सारा जग समेट अपने में भर लेतीं है ।
दर्द का दरिया आँखों को कहते हैं
आँखों से ही तो इशारे किया करते हैं
सूनी सूनी सी गलियारी है दिल की
हर…
Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on December 27, 2016 at 8:30pm — 6 Comments
Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on December 24, 2016 at 8:30pm — 5 Comments
आज एक सौदा ही कर लें
बोली बॉस एक दिन
सुनकर यह चकित हुई मैं
देखती रही उनको एकटक
देख मुझको भांप गयी वो
मुझे लगा कांप गयी वो
पर नहीं , नहीं हुआ कोई असर
बोलीं न छोडूंगी कोई कसर
अब मैं हुई और परेशान
शैतान आया था बनकर मेहमान
रुकी कुछ पल फिर हंस कर बोलीं
अपने ईमान की पोल खोली
सुनो मेरा तुम करो एक काम
न करना इस बात को आम
मेरे पास काला धन पड़ा है
मोदी जी ने सर पर हथौड़ा मारा है
औरतो के खाते में ढाई लाख़ फ्री है
यह रकम…
Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on December 22, 2016 at 8:30am — 6 Comments
Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on December 21, 2016 at 7:33pm — 7 Comments
Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on December 16, 2016 at 9:13pm — 4 Comments
Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on December 15, 2016 at 5:16pm — 3 Comments
Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on December 6, 2016 at 10:30am — 4 Comments
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