आज एक सौदा ही कर लें
बोली बॉस एक दिन
सुनकर यह चकित हुई मैं
देखती रही उनको एकटक
देख मुझको भांप गयी वो
मुझे लगा कांप गयी वो
पर नहीं , नहीं हुआ कोई असर
बोलीं न छोडूंगी कोई कसर
अब मैं हुई और परेशान
शैतान आया था बनकर मेहमान
रुकी कुछ पल फिर हंस कर बोलीं
अपने ईमान की पोल खोली
सुनो मेरा तुम करो एक काम
न करना इस बात को आम
मेरे पास काला धन पड़ा है
मोदी जी ने सर पर हथौड़ा मारा है
औरतो के खाते में ढाई लाख़ फ्री है
यह रकम टैक्स फ्री है
ले लो मुझसे तुम यह रकम
और बाँट लो थोडा मेरा ये गम
तुमको मैं एक लाख दे दूंगी
मेरा धन कर सफ़ेद करदो
मैं पड़ गयी अब सोच में
अकाउंट मेरा ख़ाली पड़ा था
एक लाख सामने खड़ा था ।
लगा सामने लक्ष्मी खड़ीं थी
मन बोला ले लो बहना
मान लो तुम बॉस का कहना ।
भ्रष्टाचार को मिटाने की कोशिश थी
काला धन निकालने की कोशिश थी
भ्रष्टाचार थोडा मैं भी मिटाऊं
कुछ फायदा खुद भी पाऊँ
जय हो जय हो नॉट बन्दी जी की
सौदा हुआ अब पक्का समझो
खुद को भी लखपति ही समझो
हुई खुश मैं पहुंची जब घर
बोला टी वी लोग हुए हैं बन्द
सौदा करते हुए पकड़े गए
इनकम टैक्स वालों से धरे गए
मैंने उठाया अपना मोबाइल
बॉस को किया एक कॉल
तभी देखी बैंक की पोल
नए नोटों की बन गयी खोल
आम जनता खड़ी कतार में
दस करोड़ आया नहीं बाज़ार में
एक शख्श फिर उसने दिखाया
नये नोटों के बीच खड़ा था
देर से सही पर समझ में आया
भृष्ट समाज की सौदे बाजी
कोई बोल रहा था एक स्लोगन
भ्रष्टाचार मिटाओ
और सामने फिर एक सौदा खड़ा था ।
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
बढ़िया सम सामयिक प्रस्तुति, बधाई आपको
कल्पना जी , अच्छी प्रस्तुति है .
समसामयिक विषय पर बढ़िया तंज ...शैली भी आपकी दूसरी रचनाओं से हटकर है ..हार्दिक बधाई आपको आदरणीया कल्पना जी
आदरणीया कल्पना जी इस प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई. सादर
खूब सुन्दर रचना
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