For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक दिन कुछ अलग हुआ
समुन्दर और आकाश के बीच
आकाश को देख समुन्दर चिल्लाया
मेरी जगह तुम आ जाओ
यह बात सुनकर आकाश मुस्काया
बोला ठीक है करलो ये प्रयास
सारी मछलियां गभरायीं
अब पंख कहाँ से लायें
चिड़िया उनको देख मुस्काईं
जैसे हम जल में तैरेंगे
तुम सब हवा में उड़ जाना
यह सब देख धरा मुस्काई
दोनों की कैसे खत्म करूँ लड़ाई
पूछा उसने समुन्दर से
दादा बोलो मैं कहाँ जाऊँ
वन , जंगल कहाँ ले जाऊँ?
आकाश से भी पूछा उसने
दिन और रात का क्या होगा
क्या समन्दर से सूरज आएगा ?
पानी से आग निकलेगी
मछली पक्षी बन चाहेंगी
पक्षी जलचर बनेंगे
पशु और मानव फिर कहाँ रहेंगे ?
क्या हुआ फिर सभीका
सोचे जो ये खाये मेवा ।
सब को देख बोला उल्लू
क्यों लड़ते हो बेवजह ही
सबकी अपनी अपनी जगह है ।
उलट सुलट संभव न होगा
कुदरत से विपरीत न होगा ।


मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 501

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on December 28, 2016 at 4:19pm
धन्यवाद आदरणीय विनय सर ।
Comment by विनय कुमार on December 28, 2016 at 4:10pm

प्रकृति से जिसने भी छेड़छाड़ की, उसका हमेशा गलत परिणाम ही निकला है| बढ़िया कल्पना आ, बधाई आपको 

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on December 25, 2016 at 9:21pm
आदरणीय डॉ गोपाल नारायन सर जी । मेरे मन में एक बात आ रही थी कि कभी कभी हम जानते हुए भी की लड़ाई निरर्थक होती है ,कुछ ऐसे विषय या कारण से लड़ पड़ते है जिसका कहीं भी सर पैर नहीं होता है । आपका कहना भी सही है । आप गुणीजनों के मार्गदर्शन की अभिलाषी हूँ । कृपया मार्गदर्शन करें मेरा । सादर ।
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 25, 2016 at 8:03pm

आ० कल्पना जी . इस कल्पना को क्या कहूं . अतिरंजित  या अजगुत . गुनीजन की सम्मति अपेक्षित .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 24, 2016 at 1:36am

आदरणीया कल्पना जी इस प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई. सादर 

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on December 23, 2016 at 7:48am
धन्यवाद आदरणीय आशीष यादव जी ।
Comment by आशीष यादव on December 23, 2016 at 1:35am
Prakriti ki bnai hr chij vyawasthit h. Sbki apni apni jagah h. Sundar sandesh wali kawita.
Rachna pr badhai.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब जब मलाई लिख दिया गया है यानी किसी प्रोसेस से अलगाव तो हुआ ही है न..दूध…"
5 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पहलगाम ही क्यों कहें - दोहे
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, पहलगाम की जघन्य आतंकी घटना पर आपने अच्छे दोहे रचे हैं. उस पर बहुत…"
20 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा चतुर्दशी (महाकुंभ)
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, महाकुंभ विषयक दोहों की सार्थक प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद. एक बात…"
22 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"वाह वाह वाह !  आदरणीय सुरेश कल्याण जी,  स्वामी दयानंद सरस्वती जैसे महान व्यक्तित्व को…"
22 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"जय हो..  हार्दिक धन्यवाद आदरणीय "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पहलगाम ही क्यों कहें - दोहे
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,  जिन परिस्थितियों में पहलगाम में आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया गया, वह…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी left a comment for Shabla Arora
"आपका स्वागत है , आदरणीया Shabla jee"
yesterday
Shabla Arora updated their profile
Monday
Shabla Arora is now a member of Open Books Online
Monday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आदरणीय सौरभ जी  आपकी नेक सलाह का शुक्रिया । आपके वक्तव्य से फिर यही निचोड़ निकला कि सरना दोषी ।…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"शुभातिशुभ..  अगले आयोजन की प्रतीक्षा में.. "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"वाह, साधु-साधु ऐसी मुखर परिचर्चा वर्षों बाद किसी आयोजन में संभव हो पायी है, आदरणीय. ऐसी परिचर्चाएँ…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service