पवन व अशोक बहुत अच्छे दोस्त, मगर जब भी कभी पवन, अशोक से समाज की किसी समस्या के बारे में बात होती तो उस का बना बनाया एक ही जवाब होता ।
“कि मेरे साथ राजनीती की बात न करो, सायद उस ने सोच रखा है कि जिन बातों का उस के घर, बच्चों व नौकरी से संबध नहीं, वो सभी बातें फजूल है ।“
अशोक को घर में भी ऐसी बहस फजूल सी लगती ।
पवन को बात शुरू करते ही अशोक कह देता और कोई बात करो , राजनीती नहीं , वरना वह शुरू होते ही विराम लगा देता,और कई बार वहाँ से उठ कर चला जाता ।
मगर पवन ने…
ContinueAdded by मोहन बेगोवाल on December 12, 2015 at 10:30pm — 2 Comments
इलेक्शन के ऐलान के बाद राजनीती का बाज़ार गर्म होने लगा,गाँव में हर पार्टी अपने अपने पर तोलने लगी ।
सभी तरफ वोटर को लुभाने व उनका धर्म ज़ात व कीमत लगाने की तैयारी चल रही थी।
उस दिन मास्टर बजार में खड़ा कह रहा था “अब तो पहले जैसी राजनीती नहीं रही” ।
“अब तो साये की तरह साथ रहने वाले पार्टी वर्करों पर भी कोई यकीन नहीं रहा”
पास खड़े आदमी ने कहा “ऐसा क्यूँ”, तुम देखते नहीं रेलियों में भीड़ जितनी होती है, भीड़ को वोट में तब्दील करना एक टेढ़ी खीर बन गया है” । महिंद्र…
ContinueAdded by मोहन बेगोवाल on December 8, 2015 at 6:30pm — 5 Comments
“बीबी जी, आज के बाद आप की कोठी में काम नहीं करूंगी” कांता ने काम खत्म करते हुए कहा ।
“क्या सभी घरों का काम छोड़ रही हो। ”
“नहीं” “तो मेरा क्यूँ ?” सरबजीत ने फिक्रमंदी जाहिर करते हुए कहा ।
“तुम बीच में काम कैसे छोड़ जाओगी, मुझे कोई प्रबंध करने का मौका तो दिया होता ।
” बस हम ने तो फैसला कर लिया है कि हम आप की कोठी में काम नहीं करेंगे”
बात को आगे बड़ाते हुए कांता ने कहा “हमने सोचा था कि आप पढ़े लिखे हैं, मगर अब पता चला कि पढाई ने तो बस आपकी सुरत ही बदली है,…
ContinueAdded by मोहन बेगोवाल on December 3, 2015 at 10:30pm — 4 Comments
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |