कह पथिक विश्राम कहाँ
मंजिल पूर्व आराम कहाँ
रवि सा जल
ना रुक, अथक चल
सीधी राह एक धर
रह एकनिष्ठ
बढ़ निडर .
अभी सुबह है,
बाकी है अभी
दुपहर का तपना.
अभी शाम कहाँ,
मंजिल पूर्व आराम कहाँ.
चलना तेरी मर्यादा
ना रुक, सीख बहना
अवरोधों को पार कर
मुश्किलों को सहना
आगे बढ़ , बन जल
स्वच्छ, निर्मल
अभी दूर है सिन्धु
अभी मुकाम कहाँ
मंजिल पूर्व आराम…
ContinueAdded by Neeraj Neer on December 15, 2013 at 7:00pm — 10 Comments
तुमने खीची थी जो
सादे पन्ने पर
आड़ी तिरछी रेखाएं
वही मेरी जिंदगी की
तस्वीर है
वही जी रहा हूँ.
रस भरी के फल
जिसे छोड़ दिया था
तुमने कड़वा कहकर
वही मेरी जिंदगी की
मिठास है .
वही जी रहा हूँ ..
मंजिल पाने की जल्दी में
जिस राह को छोड़ कर
तुमने लिया था शोर्ट कट
वही मेरी जिंदगी की
राह है .
वही जी रहा हूँ .
तुम हो गये मुझसे दूर
तुम्हे अंक के…
ContinueAdded by Neeraj Neer on December 8, 2013 at 7:00pm — 14 Comments
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