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DEEP ZIRVI's Blog (45)

पंखियों को उड़ने दो ,

पंखियों को उड़ने दो ,

पानीओं को बहने दो ,

आंसुओं को कहने दो ,

कहने दो कोई कथा

अवयस्क कोई व्यथा

पीर किसी नांव की

पीर किसी ठांव की

पीर किसी नांव की

पीर किसी ठांव की

ओढते बिछाते हुए

दर्द को सुनाते हुए

कसमसा कसमसा

अश्रु है कोई रुका

अश्रु वो न बहने दो

बात कोई कहने दो

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भूख की आ बात कर

प्यास के आ गीत गा

ख़ाली ख़ाली हाथ हैं तो

कुछ तू कह कुछ सुन आ

बीती बात भूख हो

घिसा सा गीत प्यास… Continue

Added by DEEP ZIRVI on October 6, 2010 at 8:30pm — 1 Comment

तुम हम से मिले हो तो मिल के ही चले चलना ;

तुम हम से मिले हो तो मिल के ही चले चलना ;
मेरे साथ साथ उगना मेरे साथ साथ ढलना .

मेरी बांसुरी मनोहर ,मनमीत मेरी श्यामा ;
मेरे श्वास श्वास लेकर बन रागनी मचलना .

पग बांध अपने नूपुर मृग नयनी चली आओ ;
आ झुलाओ अपने पी को तेरे प्रेम का ये पलना .

ओ रागनी मनोहर ,ओ दामनी ओ चपला ;
तेरे केश मेघ काले तेरा मुखड़ा चाँद-ललना.

घनघोर काली रैना में मधुर तेरे बैना;
मनमोर नाचते हैं तेरी ताल न बदलना . 
DEEPZIRVI9815524600

Added by DEEP ZIRVI on October 6, 2010 at 8:03pm — 1 Comment

ज़िन्दगी, बज्म तुम्हारी सजाने आये हैं .

ज़िन्दगी, बज्म तुम्हारी सजाने आये हैं .

किया था वादा वही तो निभाने आये हैं .

दरीचे खोल के बैठो हवा से बात करो ;

वस्ल के नामे अजी लो सुहाने आये हैं .

कभी भी आरजुओं को फरेब मत देना ;

फकीर रमता ये ही तो बताने आये हैं .

कभी कंगाली थी तेरे दीदार की छाई ;

तुम्हारे वस्ल के देखो खजाने आये हैं .

गई वो रात, अजी दिन सुहाने आये हैं.

सुहानी दीद के देखो बहाने आये हैं.

वस्ल की रात में जिसको जलाया जाता है ;

वही तो दीप जी हम भी जलाने आये हैं

दीप… Continue

Added by DEEP ZIRVI on October 6, 2010 at 8:02pm — No Comments

ये भी मैं हूँ वो भी मैं ही ..

ये भी मैं हूँ वो भी मैं ही ..

एक बूँद गिरी पर गिरे कभी जो मैं ही हूँ .

एक बूँद धरा पर गिरी कभी जो मैं ही हूँ .

एक बूँद अरिहंता बन गिरी समर-आँगन में ,

एक बूँद किसी घर गिरी नवोढा नयनन से ,

एक बूँद कही पर चली श्यामल गगनन से '

एक बूँद कहीं पर मिली सागर प्रियतम से ,

वो बूँद बनी हलाहल जानो मैं ही हूँ ,

वो बूँद बनी जो सागर जानो मैं ही हूँ,

वो बूँद बनी पावन तन जानो मैं ही था ,

वो बूँद बनी प्यासा मन जानो मै ही हूँ .

हर बूँद बूँद में व्यापक व्याप्त… Continue

Added by DEEP ZIRVI on October 6, 2010 at 8:00pm — 1 Comment

हम बोलेगा तो बोलोगे की बोलता है .

साबरमती के संत, बोले तो अपने बापू , हाँ बाबा वही एक लाठी एक लंगोटी वाले, वोही मोहनदास करमचन्द गांधी , अब ठीक पहचाना आपने । वोही जिनके बारे ये कहा जाता है कि उनकी ३० जनवरी १९४८ को हत्या कर दी गयी थी वही बापू गांघी आज कल नोटों पर आसन जमाए दिखते हैं । उन की लीला अपरम्पार है । आज सरकारी दफ्तरों वाले १०० प्रतिशत गांधी वादी हो गये हैं ।

जिन का दांव नही लगता वो इमानदारी का दावा करते हैं अन्यथा सदाचार एवम ईमानदारी उसी के जिस का दांव नही लगता ।

सरकारी दफ्तरों में तो पाषाण से पाषाण ह्रदय भरे… Continue

Added by DEEP ZIRVI on October 6, 2010 at 8:00pm — 1 Comment

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