For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Mahendra Kumar's Blog (46)

हो गया हूँ बुरा

करता रहा समझौता
सहता रहा चुपचाप सब
जब तक मैं
तब तक
अच्छा था सबकी
नज़रों में बहुत
हाँ, तुम्हारी भी तो
पर आज जब मैंने सच बोला
बोल दिया झूठ को झूठ
तो हो गया हूँ बुरा
सबसे बुरा
गिर गया हूँ गहरे
कहीं बहुत गहरे
सबकी नज़रों से
और हाँ, तुम्हारी भी तो!

(मौलिक व अप्रकाशित)

Added by Mahendra Kumar on December 1, 2016 at 1:30pm — 10 Comments

ग़ज़ल - दिन ढलते ही रात को आते देख रहा हूँ

बह्र : मात्रिक



दिन ढलते ही रात को आते देख रहा हूँ

शहर से तुम को अपने जाते देख रहा हूँ



धीरे धीरे दिल ये मेरा डूब रहा है

दूर कहीं क़श्ती को जाते देख रहा हूँ



साहिल से मौजों का मिलना जाने कब हो

लहरों से लहरें टकराते देख रहा हूँ



शायद देखो मुड़ के मुझको जाते लेकिन

मायूसी आँखों में छाते देख रहा हूँ



देख रहा हूँ गुमसुम गुमसुम बैठे तुम को

तुम को ही आवाज़ लगाते देख रहा हूँ



चुपके चुपके बैठे बैठे अश्क़ बहाते

दिलवालों… Continue

Added by Mahendra Kumar on July 10, 2016 at 3:30pm — 10 Comments

पर्पल डार्कनेस (लघुकथा)

"थू... थू... थू..."



सूरज, जो अब तक लगातार गुस्से से चुकन्दर को ऐसे खाये जा रहा था जैसे कि उससे उसकी कोई पुरानी दुश्मनी हो, ने उसे ग़ौर से देखा और फिर थूकते हुए अपने हाथों से दूर फेंक दिया। इसके बाद उसने आलमारी से एक पुरानी शर्ट निकाली, उसे पहना और फिर आईने के सामने खड़ा हो गया। थोड़ी देर बाद उसने शर्ट को उतारा और गुस्से से उसे ज़मीन पे फेंक दिया। फिर मेज से बोतल उठायी और पूरी शराब शर्ट के ऊपर उड़ेल दी। माचिस लगते ही एक अजीब-सा अँधेरा पूरे कमरे में फैलने लगा...



आज से दो साल पहले… Continue

Added by Mahendra Kumar on July 6, 2016 at 11:00am — 10 Comments

ग़ज़ल - मुहब्बत करने वाला क्यूँ कभी तनहा नहीं मिलता

मफ़ाईलुन/मफ़ाईलुन/मफ़ाईलुन/मफ़ाईलुन

किसी को भी यहाँ पे क्यूँ कोई अपना नहीं मिलता

तुम्हें तुम सा नहीं मिलता, हमें हम सा नहीं मिलता

ज़माना घूम के बैठे, दुआएँ कर के भी देखीं

हमें तो यार कोई भी कहीं तुम सा नहीं मिलता

ज़मीनें एक थीं फिर भी लकीरें खींच दीं हमने

सभी से इसलिए भी दिल यहाँ सबका नहीं मिलता

वहाँ पे बैठ के साहब लिखे तक़दीर वो सबकी

लिखावट एक जैसी है तो क्यूँ लिक्खा नहीं…

Continue

Added by Mahendra Kumar on July 2, 2016 at 7:30am — 7 Comments

ग़ज़ल - जब होता है तेरा चर्चा मेरे आगे

22 22 22 22 22 22



कहता है सूरज से चन्दा मेरे आगे

चलना मेरे आगे, चलना मेरे आगे



जो इश्क़ करो तो यूँ करना मेरे आगे

रह जाये जल के ये दुनिया मेरे आगे



तुम हो तो ले आयेंगे फिर से ये मौसम

गिर जाये, गिरने दो, लम्हा मेरे आगे



जाने क्या ढूंढने लगते हैं मुझ में सब

जब होता है तेरा चर्चा मेरे आगे



मेरे पीछे कड़वी कड़वी एक हकीकत

मीठा मीठा प्यारा सपना मेरे आगे



एक दिवाना पागल तेरे अन्दर बैठा

लैला लैला रटता रहता मेरे… Continue

Added by Mahendra Kumar on June 27, 2016 at 12:42pm — 6 Comments

ग़ज़ल - मुहब्बत मेरी बेनवा ही सही

122/122/122/12

मुहब्बत मेरी बेनवा ही सही

तुम्हारी नज़र में ख़ता ही सही

चलो इश्क़ में कुछ किया तो सही

दुआ जो नहीं, बद्दुआ ही सही

है जितनी भी, जैसी भी, जी जाइये

भले ज़िंदगी बेमज़ा ही सही

कहाँ है वो, कैसा है, किस हाल में

न मंज़िल मिले तो पता ही सही

चलो आओ थोड़ा सा रुक लें यहाँ

अभी के लिए मरहला ही सही

हमें रौशनी की ज़रूरत नहीं

अँधेरा घना तो घना ही सही

कई बार लोगों से ये…

Continue

Added by Mahendra Kumar on June 20, 2016 at 7:00pm — 7 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Sunday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Friday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service