For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Poonam Shukla's Blog – September 2013 Archive (3)

ग़ज़ल -ऐसा प्यार अमर होता है - पूनम शुक्ला

2222 2222

हाँ ऊँचा अंबर होता है
पर धरती पर घर होता है

तुम हो आगे हम हैं पीछे
ऐसा तो अक्सर होता है

इक लय में गाते जब दोनों
ऐसा प्यार अमर होता है

प्रेम नहीं बस तू तू मैं मैं
वो भी कोई घर होता है

बन जाता जो रेत सजीला
वो भी तो पत्थर होता है

रुक जाते हैं पाँव जहाँ पर
देखा तेरा दर होता है

तू ही जाने किस गरदन पर
जाने किसका सर होता है

पूनम शुक्ला
मौलिक एवं अप्रकाशित

Added by Poonam Shukla on September 30, 2013 at 11:01am — No Comments

ग़ज़ल - सितम सारे सहें कुछ यूँ

1222. 1222

चलो चल कर कहें कुछ यूँ
सितम सारे सहें कुछ यूँ

रियावत ओढ़ लें थोड़ा
जुदाई को सहें कुछ यूँ

सफीना कागजों का था
लहर से हम कहें कुछ यूँ

नशेमन नम न हो कोई
नयन अपने बहें कुछ यूँ

सितारें खोज लें हमको
अँधेरों में रहें कुछ यूँ

रियावत - परंपरा
सफीना - नाव
नशेमन - घोंसला

पूनम शुक्ला
मौलिक एवं अप्रकाशित

Added by Poonam Shukla on September 22, 2013 at 10:20am — 20 Comments

गज़ल - गांधियों के रूप में ढलते गए

बह्र -- रमल मुसद्दस महजूफ

२१२२, २१२२, २१२

हम चले थे आस में चलते गए

और वो सब हाथ ही मलते गए



खूबसूरत रुत न थी औ रहगुज़र

तीरगी की बाढ़ को छलते गए



खूब रोका कंटकों नें राह में

राह में हम फूल सा खिलते गए



कह रहीं थीं आँधियाँ रुक जा जरा

आँधियों सा राह में चलते गए



झूठ आया रूप धर के सामने

गांधियों के रूप में ढ़लते गए



देख सुन कह मत गलत बुनते रहे

वानरों के पेट भी पलते गए



या खुदा तूने न देखा… Continue

Added by Poonam Shukla on September 20, 2013 at 1:00pm — 20 Comments

Monthly Archives

2015

2014

2013

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय मिथिलेश जी, बहुत धन्यवाद। आप का सुझाव अच्छा है। "
21 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से मश्कूर हूँ।"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a discussion
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय  दिनेश जी,  बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर बागपतवी जी,  उम्दा ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय जी,  बेहतरीन ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। मैं हूं बोतल…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय  जी, बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। गुणिजनों की इस्लाह तो…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय चेतन प्रकाश  जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीया रिचा जी,  अच्छी ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,  बहुत ही बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए।…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी, बहुत शानदार ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
7 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीया ऋचा जी, बहुत धन्यवाद। "
9 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service