For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गज़ल - राहों में दीवारें हैं - पूनम शुक्ला

2222. 222

बजती क्यों झंकारें हैं
जब सजती तलवारें हैं

मुँह पर ताले ऐसे क्यों
अब उठती ललकारें हैं

आँखों में देखो पानी
उफ इतनी मनुहारें हैं

कब बदलेगी ये झुग्गी
हाँ बदली सरकारें हैं

काँटे ही काँटे हैं बस
राहों में दीवारें हैं

बहना इतना मुश्किल क्यों
दिखती बस मझधारें हैं ।
पूनम शुक्ला
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 899

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Nilesh Shevgaonkar on November 10, 2013 at 9:46pm

वाह वाह ... बधाई 

Comment by ram shiromani pathak on November 10, 2013 at 7:55pm

बहुत ही  सुन्दर  ग़ज़ल   हुई   है  आदरणीया  पूनम जी …बहुत बहुत बधाई आपको। ..सादर 

Comment by vijay nikore on November 10, 2013 at 2:00pm

इस अच्छी गज़ल के लिए बधाई, आदरणीया पूनम जी।

 

सादर,

विजय निकोर


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on November 10, 2013 at 9:59am

छोटी बहार की सुन्दर ग़ज़ल.बधाई....

आदरणीया प्राची जी के कथन से सहमत हूँ. मेरे विचार में भी झंकार,मँझधार अपने बहुवचन में यथावत रहते है,

Comment by Sushil.Joshi on November 9, 2013 at 8:33pm

इस सुंदर गज़ल हेतु बधाई आ0 पूनम जी....

Comment by annapurna bajpai on November 9, 2013 at 2:00pm

आ0 पूनम जी छोटी बहर मे सुंदर गजल , बधाई आपको । 

Comment by अरुन 'अनन्त' on November 9, 2013 at 1:26pm

आदरणीया पूनम जी बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल कही है आपने बधाई स्वीकारें


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on November 9, 2013 at 11:49am

आदरणीया पूनम जी , छोटी बह्र मे आपने बहुत लाजवाब गज़ल कही है !!! आपको बहुत बधाई !!!! आदरणीया राजेश जी का सही कहना है  पांचवे शेर मे तकाबुले रदीफ का दोष है !!!!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on November 9, 2013 at 10:09am

छोटी बहर पर सुन्दर ग़ज़ल 

एक संशय है ...क्या झंकार, मनुहार, मझधार शब्दों का बहुवचन झंकारें,मनुहारें , मझधारें लिया जाता है ..या फिर ये शब्द इसी प्रारूप में बहुवचन के लिए भी प्रयुक्त किये जाते हैं?


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 8, 2013 at 10:42pm

बस काँटे ही काँटे हैं-----तकाबुले रदीफ़ दोष बन रहा है-----काँटे ही काँटे हैं बस---- कर लीजिये 
राहों में दीवारें हैं---- 

छोटी बहर पर सुन्दर ग़ज़ल लिखी है दाद कबूलें 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"सादर प्रणाम🙏 आदरणीय चेतन प्रकाश जी ! अच्छे दोहों के साथ आयोजन में सहभागी बने हैं आप।बहुत बधाई।"
yesterday
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी ! सादर अभिवादन 🙏 बहुत ही अच्छे और सारगर्भित दोहे कहे आपने।  // संकट में…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Saturday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"राखी     का    त्योहार    है, प्रेम - पर्व …"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"दोहे- ******* अनुपम है जग में बहुत, राखी का त्यौहार कच्चे  धागे  जब  बनें, …"
Saturday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"रजाई को सौड़ कहाँ, अर्थात, किस क्षेत्र में, बोला जाता है ? "
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय  सौड़ का अर्थ मुख्यतः रजाई लिया जाता है श्रीमान "
Thursday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"हृदयतल से आभार आदरणीय 🙏"
Thursday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
Wednesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service