For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

न हो किरदार अपना रब गिरी दीवार की सूरत(९१ )

++ग़ज़ल++ ( 1222 *4 )

न हो किरदार अपना रब गिरी दीवार की सूरत

कभी बिगड़े नहीं या रब मेरे पिंदार की सूरत

**

ख़ुदाया ख़म कभी सर हो न मेरा इस ज़माने में

सदा क़ायम रहे हर पल मेरे मेआ'र की सूरत

**

दिखाए मुख़्तलिफ़ रंगों में उसने प्यार के जलवे

कभी इक़रार की सूरत कभी इंकार की सूरत

**

सितम कर दिल्लगी कर बस ख़याल इतना ज़रा रखना

न हो ये ज़िंदगी ज़िंदान-ए-तंग-ओ-तार की सूरत

**

जवानों के नए अंदाज़ आँखों में खटकते हैं

खुलेआम अब चिपकते हैं बदन ज़ुन्नार की सूरत

**

रियाया को सियासतदाँ समझ बैठे हैं रक़्क़ासा

नचाते वोट लेकर अबरू-ए-ख़म-दार की सूरत

**

मुहब्बत में जबरदस्ती चलन है पुरख़तर यारो

मना करने पे जलती है यहाँ दिलदार की सूरत

**

अजब है दौर-ए-हाज़िर हर कोई तैयार बिकने को

बदलती जा रही है आजकल बाज़ार की सूरत

**

'तुरंत'उम्र-ए-बहारां में किसी का ख़्वाब देखा था

मेरी ग़ज़लों में ढलता है वही अशआर की सूरत

**

गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' बीकानेरी |

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 401

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on April 29, 2020 at 6:22pm

आदरणीय TEJ VEER SINGH जी , हौसला आफ़जाई के लिए दिली शुक्रिया 

Comment by TEJ VEER SINGH on April 29, 2020 at 6:01pm

हार्दिक बधाई आदरणीय गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' बीकानेरी जी। बेहतरीन गज़ल।

रियाया को सियासतदाँ समझ बैठे हैं रक़्क़ासा

नचाते वोट लेकर अबरू-ए-ख़म-दार की सूरत

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on April 29, 2020 at 12:04pm

आदरणीय सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप' जी , हौसला आफजाई के लिए दिली शुक्रिया 

Comment by गिरधारी सिंह गहलोत 'तुरंत ' on April 29, 2020 at 12:03pm

 आदरणीय     लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'  जी ,उत्साहवर्धन के लिए सादर आभार एवं नमन 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on April 29, 2020 at 11:55am

आ. भाई गिरधर सिह जी, अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by नाथ सोनांचली on April 29, 2020 at 6:03am

आद0 गिरधर सिंह गहलोत जी सादर अभिवादन। बढ़िया ग़ज़ल कही आपने, बधाई स्वीकार कीजिये।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

भादों की बारिश

भादों की बारिश(लघु कविता)***************लाँघ कर पर्वतमालाएं पार करसागर की सर्पीली लहरेंमैदानों में…See More
45 minutes ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान ।मुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।। छोटी-छोटी बात पर, होने लगे…See More
45 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय चेतन प्रकाश भाई ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक …"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सुशील भाई  गज़ल की सराहना कर उत्साह वर्धन करने के लिए आपका आभार "
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
4 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"विगत दो माह से डबलिन में हूं जहां समय साढ़े चार घंटा पीछे है। अन्यत्र व्यस्तताओं के कारण अभी अभी…"
21 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"प्रयास  अच्छा रहा, और बेहतर हो सकता था, ऐसा आदरणीय श्री तिलक  राज कपूर साहब  बता ही…"
22 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"अच्छा  प्रयास रहा आप का किन्तु कपूर साहब के विस्तृत इस्लाह के बाद  कुछ  कहने योग्य…"
22 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"सराहनीय प्रयास रहा आपका, मुझे ग़ज़ल अच्छी लगी, स्वाभाविक है, कपूर साहब की इस्लाह के बाद  और…"
22 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आपका धन्यवाद,  आदरणीय भाई लक्ष्मण धानी मुसाफिर साहब  !"
22 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"साधुवाद,  आपको सु श्री रिचा यादव जी !"
22 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"धन्यवाद,  आज़ाद तमाम भाई ग़ज़ल को समय देने हेतु !"
22 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service