For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गीत-लोचन लोचन अश्रु बावरे बहते हैं अविराम (सरसी छंद)

विधान – 27 मात्रा, 16,11 पर यति, चरणान्त में 21 लगा अनिवार्य l कुल चार चरण, क्रमागत दो-दो चरण तुकांत l

ह्रदय बसाये देवी सीता
वन वन भटकें राम
लोचन लोचन अश्रु बावरे
बहते हैं अविराम

सुन चन्दा तू नीलगगन से
देख रहा संसार
किस नगरी में किस कानन में
खोया जीवन सार
हे नदिया हे गगन,समीरा 
ओ दिनकर ओ धूप
तृण तृण से यूँ हाथ जोड़कर
पूछ रहे सुर भूप

क्या तुमने देखा है,उसका
वैदेही है नाम
लोचन लोचन अश्रु बावरे
बहते हैं अविराम

था मेरे कर्मों का फल जो
मिला मुझे वनवास 

फिर आखिर निर्दोष मैथली 

पर क्यों टूटा त्रास
पलकों की कोरों पे बाँधा
टूट गया तटबंध
अंतस के नयनों से सारे
व्यर्थ हुए अनुबंध

राम सनेही जनक दुलारी
गई कौन से धाम
लोचन लोचन अश्रु बावरे
बहते हैं अविराम

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

बृजेश कुमार 'ब्रज'

Views: 765

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on December 21, 2020 at 7:53pm

रचना पटल पे आपका हार्दिक अभिनन्दन एवं आभार आदरणीया अनामिका जी...

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on December 21, 2020 at 7:52pm

आदरणीय अमीरुद्दीन जी आपका बहुत बहुत आभार..सादर

Comment by Anamika singh Ana on December 19, 2020 at 7:47pm

बहुत सुंदर गीत रचा है आदरणीय , हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिये ।

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on December 19, 2020 at 3:40pm

 जनाब बृजेश कुमार 'ब्रज' जी आदाब, सुंदर गीत की रचना हुई है, हृदय तल से बधाईयाँ प्रस्तुत करता हूँ। सादर। 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on December 14, 2020 at 10:05pm

एक प्रार्थना है...अगर कमियों को इंगित करेंगे तो सुधार और सीखने में आसानी होगी..सादर

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on December 14, 2020 at 10:04pm

आदरणीय धामी जी गीत पे आपके सुन्दर शब्दों से मन में उत्साह का नव संचार हुआ...धन्यवाद

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 14, 2020 at 7:41pm

आ. भाई ब्रिजेश जी, सादर अभिवादन । गीत का प्रयास अच्छा हुआ है । हार्दिक बधाई ।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on December 12, 2020 at 9:44pm

रचना पटल पे आपका स्वागत संग आभार आदरणीय समर जी...

Comment by Samar kabeer on December 11, 2020 at 3:17pm

जनाब बृजेश कुमार 'ब्रज' जी आदाब, गीत का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service