For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

वरना पीठ दिखाने से तो अच्छा है तुम मर जाओ

रणभेरी बजने से पहले अच्छा है तुम घर जाओ
वरना पीठ दिखाने से तो अच्छा है तुम मर जाओ

कितनी ही आशाएं तुमसे लगी हुई है, टूटेंगीं
कितनी ही तकदीरें तुमसे जुड़ी हुई हैं, रूठेगीं


तेरे पीछे मुड़ जाने से कितने सिर झुक जाएंगे
कितने प्राण कलंकित होंगे कितने कल रुक जाएंगे


उतर गए हो बीच समर तो कौशल भी दिखला जाओ
हिम्मत के बादल बन कर तुम विपदाओं पर छा जाओ

तप कर और प्रबल बनकर तुम शोलों बीच सँवर जाओ
वरना पीठ दिखाने से तो अच्छा है तुम मर जाओ 

आशीष यादव 

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 583

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by आशीष यादव on May 31, 2021 at 11:19pm

आदरणीय श्री Chetan Prakash  सर प्रणाम,
सर मैंने केवल अपने मनोभावों को कलमबद्ध करने की कोशिश की है। मुझे 'नगमा' इत्यादि के बारे में जानकारी नहीं है।
आपसे प्रार्थना है कि कृपया उचित मार्गदर्शन करें।

Comment by आशीष यादव on May 31, 2021 at 11:13pm

आदरणीय श्री Aazi Tamaam सर, बहुत बहुत धन्यवाद। 

Comment by आशीष यादव on May 31, 2021 at 11:12pm

आदरणीय श्री लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर  सर कविता पसंद करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।

Comment by Samar kabeer on May 31, 2021 at 2:42pm

जनाब आशीष जी आदाब, रचना का प्रयास अच्छा है, बधाई स्वीकार करें ।

ये रचना किस विधा में है? बताने का कष्ट करें ।

Comment by Chetan Prakash on May 29, 2021 at 1:32pm
  • आदाब, भाई, आशीष  ! रचना  को आप अपने मन से  ही 'नगमा' कह रहे हैं, अथवा कोई  माडल दृष्टिगत  रखकर  आपने अपनी  रचना  का नाम करण 'नगमा  किया  है ! मैंने  कम से कम इस  फार्मेट  कोई  नगमा  नहीं देखा ! कृपया मार्ग दर्शन करें !
Comment by Aazi Tamaam on May 28, 2021 at 9:08am

सुंदर रचना है सहृदय बधाई आ आशीष जी

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on May 28, 2021 at 8:53am

आ. भाई आशीष जी, वीररस की सुंदर रचना हुई है । हार्दिक बधाई.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
7 seconds ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"गजल**किसी दीप का मन अगर हम गुनेंगेअँधेरों    को   हरने  उजाला …"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई भिथिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर उत्तम रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
6 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"दीपोत्सव क्या निश्चित है हार सदा निर्बोध तमस की? दीप जलाकर जीत ज्ञान की हो जाएगी? क्या इतने भर से…"
18 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"धन्यवाद आदरणीय "
20 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"ओबीओ लाइव महा उत्सव अंक 179 में स्वागत है।"
20 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"स्वागतम"
20 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' left a comment for मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, करवा चौथ के अवसर पर क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस बेहतरीन प्रस्तुति पर…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ **** खुश हुआ अंबर धरा से प्यार करके साथ करवाचौथ का त्यौहार करके।१। * चूड़ियाँ…See More
Thursday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service