For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल 

१२२२ १२२२ १२२२ १२२२ 

उजाला  इसलिए  कमरे  में  पहले सा नहीं रहता 

हमारे  साथ  अब  वो चाँद   सा  चहरा नहीं रहता 

 

ग़िलाज़त  ही ग़िलाज़त  है सियासत तेरी बस्ती में 

यहाँ  आकर कोई भी  शख़्स पाकीज़ा नहीं रहता 

जूनूँ के दश्त में जिस दिन से दाख़िल हो गया हूँ मैं 

मेरी    दीवानगी    पे     दोस्तो   पहरा नहीं रहता 

उसी  को मंज़िल-ए-मक़सूद  मिलती  है ज़माने में 

जो  सर  पर  हाथ रख कर दोस्तो बैठा नहीं रहता

बुराई   पीठ   पीछे   जो  किया करते हैं लोगों की 

मैं   ऐसे   दोस्तों   के   साथ   दानिस्ता नहीं रहता 

ग़रीबों   में  ख़ुशी  तक़सीम  जो करता है वो इंसाँ

ख़ुदा  के फ़ज़्ल से दुनिया में अफ़सुर्दा नहीं रहता

हमारी  आपकी  तो बात ही क्या है 'समर' साहिब 

ख़ुदा  से   हाल  चींंटी  का भी पोशीदा नहीं रहता

'समर कबीर'

मौलिक व् अप्रकाशित 

Views: 720

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on March 10, 2023 at 4:38pm

जनाब निलेश जी बहुत शुक्रिय: आपका ।

Comment by Samar kabeer on March 10, 2023 at 4:38pm

मुहतरमा रचना भाटिया जी बहुत शुक्रिय: आपका ।

Comment by Nilesh Shevgaonkar on March 10, 2023 at 2:05pm

आ. समर सर.

बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई है. बधाई स्वीकार करें.

जो  सर  पर  हाथ रख कर दोस्तो बैठा नहीं रहता.. यहाँ भाव हाथ पर हाथ धर कर बैठने का का है ...अमूमन सर पकड़ कर बैठना मुहावरे में आता है. देखिएगा ..
सादर 

Comment by Rachna Bhatia on March 9, 2023 at 1:03pm

आदरणीय समर कबीर सर् सादर नमस्कार। वाह वाह बेहतरीन ग़ज़ल हुई।शे'र दर शे'र दाद क़ुबूल करें।

Comment by Samar kabeer on January 17, 2023 at 6:47pm

बहुत शुक्रिय: भाई रामबली गुप्ता जी ।

मंच पर आपका पुनः स्वागत है ।

Comment by रामबली गुप्ता on January 17, 2023 at 1:10am

वाह वाह भाई साहब क्या कहने एक एक शेर लाज़वाब हुआ है। दिली मुबारकबाद पेश है।

Comment by Samar kabeer on January 16, 2023 at 5:40pm

बहुत शुक्रिय: जनाब तपन दुबे जी ।

Comment by Tapan Dubey on January 16, 2023 at 4:35pm

समर सर बड़ी अच्छी गजल हुईं है। बड़ा अच्छा लगा पड़ कर। बहुत बहुत बधाई।

Comment by Samar kabeer on January 11, 2023 at 7:00pm

बहुत शुक्रिय: जनाब सुशील सरना जी ।

Comment by Samar kabeer on January 11, 2023 at 6:59pm

बहुत शुक्रिय: मुहतरमा रचना भाटिया जी ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी * दादा जी  के संग  तो उमंग  और   खुशियाँ  हैं, किस्से…"
7 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी छंद ++++++++++++++++++   देवों की है कर्म भूमि, भारत है धर्म भूमि, शिक्षा अपनी…"
19 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post रोला छंद. . . .
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"आदरणीय जी सृजन पर आपके मार्गदर्शन का दिल से आभार । सर आपसे अनुरोध है कि जिन भरती शब्दों का आपने…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सृजन के भावों को मान देने एवं समीक्षा का दिल से आभार । मार्गदर्शन का दिल से…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Tuesday
Admin posted discussions
Monday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"बंधुवर सुशील सरना, नमस्कार! 'श्याम' के दोहराव से बचा सकता था, शेष कहूँ तो भाव-प्रकाशन की…"
Monday
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"बंधुवर, नमस्कार ! क्षमा करें, आप ओ बी ओ पर वरिष्ठ रचनाकार हैं, किंतु मेरी व्यक्तिगत रूप से आपसे…"
Monday
Chetan Prakash commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post लघुकविता
"बंधु, लघु कविता सूक्ष्म काव्य विवरण नहीं, सूत्र काव्य होता है, उदाहरण दूँ तो कह सकता हूँ, रचनाकार…"
Monday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service