For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

*रोला छंद*

बहुत दिखाते ज्ञान, तनिक उस पर क्या चलते
बोल कर्म के साथ, मिलें तो क्यों घर जलते
कोरी है बक़वास, शास्त्र की बातें करना
अपना ही व्यवहार, परे उससे यदि धरना।

रहें हजारों साथ, अकेले या वे रह लें
सच को कितना झूठ, झूठ को या सच कह लें
दुष्टों के क्या कृत्य, सही फल दे पातें हैं
कुटिल सदा ही मात, सुजन से खा जातें हैं।

धरती का दिल आज, देख कर जाए घटता
चहुँदिक दे आवाज़, शीश मानव का कटता
कुढ़ता शुद्ध विचार, शील पर चलती आरी
मगर सियासत देख, सभी पर फिर भी भारी।

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 218

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on July 8, 2024 at 10:12pm

आदरणीय सौरभ सर, सादर नमन

मुझे वस्तुतः नुक्ते की कोई भी जानकारी नहीं है। मैं आगे ध्यान रखूंगा कि इसका प्रयोग ही न किया जाए। यह टंकण त्रुटि है, सचेष्ट में ऐसा करता भी नहीं हूं जी, सादर

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on July 8, 2024 at 10:09pm

आदरणीय सुशील सरना जी, आदरणीय धामी सर, सादर आभार नमन!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 19, 2023 at 12:48am

रोला छंद आधारित रचना के लिए हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय सतविन्द्र राणा जी. 

एक बात, बिना पूरी जानकारी के नुख्ता का प्रयोग न करें. 

बकवास के क के साथ नुख्ता नहीं लगता. जबकि हजार का ज बिना नुख्ता के नहीं होता. 

वैसे भी देवनागरी लिपि में नुख्ता लिखने वालों की ओढ़ी हुई आदत मात्र है. न कि नुख्ता का कोई नियम है. 

शुभ-शुभ

 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 16, 2023 at 6:04am

आ. भाई सतविन्दर जी, अभिवादन। अच्छे छंद रचे हैं हार्दिक बधाई।

Comment by Sushil Sarna on August 15, 2023 at 4:38pm
वाह आदरणीय जी बेहतरीन 👌 प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई सर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय रिचा यादव जी, ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है बधाई स्वीकार करें।"
24 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय निलेश "नूर" जी, आप लाजवाब ग़ज़ल लिखते है। बधाई स्वीकार करें।"
32 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है। बधाई स्वीकार करें।"
38 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय तमाम आज़ी जी, उम्दा ग़ज़ल है आपकी। बधाई स्वीकार करें। आदरणीय तिलकराज जी के सुझावों से ये और…"
41 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"ग़ज़ल — 221 1221 1221 122 है प्यार अगर मुझसे निभाने के लिए आकुछ और नहीं मुखड़ा दिखाने के लिए…"
48 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय धामी सर इस ज़र्रा नवाज़ी का"
1 hour ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय रिचा जी इस ज़र्रा नवाज़ी का"
1 hour ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय इंसान जी अच्छा सुझाव है आपका सहृदय शुक्रिया ग़ज़ल पर नज़र ए करम का"
1 hour ago
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय जयहिंद  जयपुरी जी सादर नमस्कार जी।   ग़ज़ल के इस बेहतरीन प्रयास के लिए बधाई…"
3 hours ago
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय नीलेश भाई जी सादर नमस्कार जी। वाह वाह बेहद शानदार मतला के साथ  शानदार ग़ज़ल के लिए दिली…"
3 hours ago
surender insan replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय लक्ष्मण जी सादर नमस्कार जी। क्या ही खूबसूरत मतला हुआ है। दिली दाद कुबूल कर जी।आगे के अशआर…"
3 hours ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-182
"आदरणीय Aazi जी बहुत शुक्रिया आपका  सादर"
4 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service