For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बस दो घूंट पियूँ , और सारा जाम भूल जाऊँ
कि तुझे याद करूँ, और तेरा नाम भूल जाऊँ


जीवन के सफ़र में कहीं, तू मिले जो दुबारा,
तेरा हाल पूछूँ, और क्या था काम भूल जाऊँ,

मिलने को तुझसे, जब भी सजाऊँ कोई रात,
मारे ख़ुशी के मैं तो वही, शाम भूल जाऊँ, 

वैसे तो दिल की याद है, हर बात मुंहजबानी,
पर लिखते वक़्त क्या था, पैगाम भूल जाऊँ,

आज चाहता हूँ कह दूँ, पर जान का है खतरा,
मैं क्या करूँ कि बाद का, अंजाम भूल जाऊँ.......

Views: 353

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 12, 2012 at 10:54am

आदरणीया राजेश कुमारी जी आपको ये ग़ज़ल पसंद आई. मन प्रसन्न हो गया.

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 12, 2012 at 10:54am

उमाशंकर जी आपका आशीर्वाद मिला आभार.

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 12, 2012 at 10:53am

भ्रमर जी बहुत - २ धन्यवाद

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 12, 2012 at 10:53am

दीप्ति जी शुक्रिया


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 12, 2012 at 9:22am

किसी की चाहत में दीवानगी से भरे अल्फ़ाज जोड़ जोड़ कर एक प्यारी सी ग़ज़ल लिख दी आपने बहुत बढ़िया अंतिम शेर तो लाजबाब है 

आज चाहता हूँ कह दूँ, पर जान का है खतरा,
मैं क्या करूँ कि बाद का, अंजाम भूल जाऊँ......इसका जबाब ग़ज़ल की पहली लाइन देगी .

 

Comment by UMASHANKER MISHRA on July 11, 2012 at 11:13pm

अरुण भाई आप बहुत बढ़िया लिखते है भावों पर आपकी अभिव्यक्ति का  अंदाज बहुत बढ़िया है

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on July 11, 2012 at 10:13pm

जीवन के सफ़र में कहीं, तू मिले जो दुबारा,
तेरा हाल पूछूँ, और क्या था काम भूल जाऊँ,

बदले हुए सामजिक परिदृश्य को दर्शाती सुन्दर रचना अरुण अनंत जी ...कटु व्यंग्य 

भ्रमर ५ 

 

Comment by deepti sharma on July 11, 2012 at 7:11pm

वाह बधाई आपको 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-114
"ख़्वाबों के मुकाम (लघुकथा) : "क्यूॅं री सम्मो, तू झाड़ू लगाने में इतना टाइम क्यों लगा देती है?…"
3 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-114
"स्वागतम"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"//5वें शेर — हुक्म भी था और इल्तिजा भी थी — इसमें 2122 के बजाय आपने 21222 कर दिया है या…"
4 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय संजय शुक्ला जी, बहुत अच्छी ग़ज़ल है आपकी। इस हेतु बधाई स्वीकार करे। एक शंका है मेरी —…"
6 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"धन्यवाद आ. चेतन जी"
6 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय ग़ज़ल पर बधाई स्वीकारें गुणीजनों की इस्लाह से और बेहतर हो जायेगी"
6 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"बधाई स्वीकार करें आदरणीय अच्छी ग़ज़ल हुई गुणीजनों की इस्लाह से और बेहतरीन हो जायेगी"
6 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय ग़ज़ल मुकम्मल कराने के लिये सादर बदल के ज़ियादा बेहतर हो रहा है…"
6 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' जी, आपने मेरी टिप्पणी को मान दिया उसके लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
6 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय निलेश जी, मेरी शंका का समाधान करने के लिए धन्यवाद।"
6 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय संजय शुकला जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
6 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय रिचा यादव जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
6 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service