For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तैयार किए गए

कुछ रोबोट

डाले गए

नफरत के प्रोग्राम

चार्ज किए गए

हैवानियत की बैटरी से

फिर भेज दिये  गए  

इंसानों की बस्ती में

फैलने आतंक

 

ये और बात है

इंसानियत ज़िंदा रही

हार गए हैवान

नहीं डरा सके हमें

न हीं कमज़ोर कर सके

हमारा आत्मविश्वास

 

और फिर

नष्ट कर दिया गया

आखिरी रोबोट भी

हम खुश ज़रूर हैं

पर जब तक जिंदा हैं

रोबोट बनाने वाले हाथ

इंसानियत के दुश्मन आज़ाद हैं

और हमारी मंज़िल

अभी दूर है 

Views: 421

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 24, 2012 at 9:34pm

//

पर जब तक जिंदा हैं

रोबोट बनाने वाले हाथ

इंसानियत के दुश्मन आज़ाद हैं

और हमारी मंज़िल

अभी दूर है //

वाह, क्या बात है, बहुत ही सुन्दर कहन नादिर साहब, बहुत बड़ी बात कही है, यह रचना मुझे बहुत अच्छी लगी, बधाई इस सामयिक रचना पर |


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on November 23, 2012 at 9:55pm

पर जब तक जिंदा हैं

रोबोट बनाने वाले हाथ

इंसानियत के दुश्मन आज़ाद हैं

और हमारी मंज़िल

अभी दूर है ..................बेहद सटीक अभिव्यक्ति नादिर खान जी , हार्दिक बधाई स्वीकार करें 

Comment by नादिर ख़ान on November 22, 2012 at 10:07pm

अदरणीय अखिलेश सर,लक्ष्मण प्रसाद जी एवं राजेश कुमारी जी आप सब का बहुत आभार 

आप सभी ने कोशिश को सराहा ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on November 22, 2012 at 6:09pm

इशारों इशारों में बहुत कुछ कह गई ये रचना सन्देश परक !!बधाई आपको 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 22, 2012 at 4:45pm

भावपूर्ण  सुंदर रचना बधाई

Comment by akhilesh mishra on November 22, 2012 at 4:29pm

badhiya  prastuti.

Comment by नादिर ख़ान on November 22, 2012 at 3:28pm

फूल सिंह जी एवं  शालिनी जी, बहुत शुक्रिया

आप दोनों ने रचना  के भाव को पसंद किया ।

आभार ..

Comment by shalini kaushik on November 22, 2012 at 3:09pm

ummeeed kee kiran baki hai tab kuchh bhi door nahi .bahut sundar bhavpoorn abhivyakti .badhai sweekar karen.

Comment by PHOOL SINGH on November 22, 2012 at 2:43pm

नादिर जी नमस्कार........

बहुत ही सुंदर, भावपूर्ण  रचना....बधाई....

फूल सिंह

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । हो सकता आपको लगता है मगर मैं अपने भाव…"
9 hours ago
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"अच्छे कहे जा सकते हैं, दोहे.किन्तु, पहला दोहा, अर्थ- भाव के साथ ही अन्याय कर रहा है।"
12 hours ago
Aazi Tamaam posted a blog post

तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या

२१२२ २१२२ २१२२ २१२इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्यावैसे भी इस गुफ़्तगू से ज़ख़्म भर…See More
23 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"परम् आदरणीय सौरभ पांडे जी सदर प्रणाम! आपका मार्गदर्शन मेरे लिए संजीवनी समान है। हार्दिक आभार।"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

दोहा सप्तक. . . . विविधमुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"ऐसी कविताओं के लिए लघु कविता की संज्ञा पहली बार सुन रहा हूँ। अलबत्ता विभिन्न नामों से ऐसी कविताएँ…"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

छन्न पकैया (सार छंद)

छन्न पकैया (सार छंद)-----------------------------छन्न पकैया - छन्न पकैया, तीन रंग का झंडा।लहराता अब…See More
yesterday
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"आदरणीय सुधार कर दिया गया है "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। बहुत भावपूर्ण कविता हुई है। हार्दिक बधाई।"
Monday
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के

२२ २२ २२ २२ २२ २चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल केहो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल केहर पल अपना जिगर जलाना…See More
Monday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

गहरी दरारें (लघु कविता)

गहरी दरारें (लघु कविता)********************जैसे किसी तालाब कासारा जल सूखकरतलहटी में फट गई हों गहरी…See More
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

212/212/212/212 **** केश जब तब घटा के खुले रात भर ठोस पत्थर  हुए   बुलबुले  रात भर।। * देख…See More
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service