For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल "संदली सा बदन है क्या कहिये"

========ग़ज़ल=======

संदली सा बदन है क्या कहिये
फूल जैसी छुअन है क्या कहिये

जल उठा है बदन तुझे छूकर
हुश्न है या अगन है क्या कहिये

सर से पा तक तुझे वो छूता है
आपका पैरहन है क्या कहिये

तीर नज़रो के जब चलें दिल पर
होती मीठी चुभन है क्या कहिये

घर मेरा आप जैसा गुल पा कर
खुद को समझे चमन है क्या कहिये

इश्क का रोग लग गया शायद
खोया खोया जेहन है क्या कहिये

हमसे नज़रें चुराते फिरते हैं  
राज-ए-उल्फत दफ़न है क्या कहिये

"दीप" सब जानते हैं ये तेरी
दिल्लगी आदतन है क्या कहिये

संदीप  पटेल  "दीप"

Views: 684

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ashok Kumar Raktale on February 3, 2013 at 11:11pm

सर से पा तक तुझे वो छूता है
आपका पैरहन है क्या कहिये

तीर नज़रो के जब चलें दिल पर
होती मीठी चुभन है क्या कहिये

घर मेरा आप जैसा गुल पा कर
खुद को समझे चमन है क्या कहिये

वाह भाई संदीप जी सादर, सुन्दर गजल क्या कहिये. बधाई स्वीकारें.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on February 3, 2013 at 2:31pm

कोमल सी सुन्दर ग़ज़ल के लिए बधाई आ. संदीप जी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 3, 2013 at 2:10pm

भाईजी, पारंपरिक ग़ज़लगोई कीजिये, मगर उन्हीं बिम्बों से कुछ नयापन भी तो दिखे, ये कहना था मेरा. शृंगार बुरा विषय थोड़े न है..

:-)))


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on February 3, 2013 at 11:39am

श्रृंगार रस से सराबोर इस झूमती हुई गज़ल के लिए बधाई..........

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on February 3, 2013 at 10:48am

आदरणीय विजय सर जी तहे दिल से शुक्रिया इस हौसलाफजाई के लिए

स्नेह यूँ ही बनाये रखिये

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on February 3, 2013 at 10:48am

आदरणीय गुरुदेव सौरभ सर जी सादर प्रणाम

गुरुदेव इस बार मैंने पारम्परिक ग़ज़ल कहने का प्रयास किया है जिसमें श्रिंगार को पिरोने की कोशिश की है

आपकी आशाओं में खरा उतरने का भरसक प्रयास करूँगा

स्नेह और आशीष बनाये रखिये

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on February 3, 2013 at 10:46am

आदरणीया महिमा जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया ग़ज़ल की पसंदगी के लिए

Comment by vijay nikore on February 3, 2013 at 8:08am

गज़ल अच्छी लगी।

विजय निकोर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 3, 2013 at 7:11am

घर मेरा आप जैसा गुल पा कर
खुद को समझे चमन है क्या कहिये 

हर संतुष्ट पति का दिल स्वर पा गया है. .. :-))))

वैसे, पूरी ग़ज़ल के परिप्रेक्ष्य में कहूँ तो आपसे कुछ और बेहतर की अपेक्षा ग़लत नहीं है.. .

Comment by MAHIMA SHREE on February 2, 2013 at 10:56pm

क्या बात है ...बधाई स्वीकार करें

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज जी इस बह्र की ग़ज़लें बहुत नहीं पढ़ी हैं और लिख पाना तो दूर की कौड़ी है। बहुत ही अच्छी…"
46 minutes ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहते हो बात रोज ही आँखें तरेर कर-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. धामी जी ग़ज़ल अच्छी लगी और रदीफ़ तो कमल है...."
51 minutes ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"वाह आ. नीलेश जी बहुत ही खूब ग़ज़ल हुई...."
54 minutes ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय धामी जी सादर नमन करते हुए कहना चाहता हूँ कि रीत तो कृष्ण ने ही चलायी है। प्रेमी या तो…"
1 hour ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय अजय जी सर्वप्रथम देर से आने के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ।  मनुष्य द्वारा निर्मित, संसार…"
1 hour ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । हो सकता आपको लगता है मगर मैं अपने भाव…"
16 hours ago
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . विविध
"अच्छे कहे जा सकते हैं, दोहे.किन्तु, पहला दोहा, अर्थ- भाव के साथ ही अन्याय कर रहा है।"
19 hours ago
Aazi Tamaam posted a blog post

तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या

२१२२ २१२२ २१२२ २१२इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्यावैसे भी इस गुफ़्तगू से ज़ख़्म भर…See More
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"परम् आदरणीय सौरभ पांडे जी सदर प्रणाम! आपका मार्गदर्शन मेरे लिए संजीवनी समान है। हार्दिक आभार।"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

दोहा सप्तक. . . . विविधमुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"ऐसी कविताओं के लिए लघु कविता की संज्ञा पहली बार सुन रहा हूँ। अलबत्ता विभिन्न नामों से ऐसी कविताएँ…"
Tuesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

छन्न पकैया (सार छंद)

छन्न पकैया (सार छंद)-----------------------------छन्न पकैया - छन्न पकैया, तीन रंग का झंडा।लहराता अब…See More
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service