पीले पीले वेश में ,आया आज बसंत
परिवर्तन की गोद में ,जा बैठा हेमंत
जा बैठा हेमंत ,खेत में सरसों फूली
महक उठा ऋतुकंत,प्रेयसी झूला झूली
रसिक भ्रमर को भाय,मनोहर वदन सजीले
कह ऋतुराज बसंत ,अमिय रस पीले पीले
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Comment
हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ जी आपको रचना पसंद आई
सुन्दर रचना और ज्ञानवर्द्धक टिप्पणियाँ..
सादर
आदरणीय लक्ष्मण जी हार्दिक आभार आपका
मंजरी पांडेय जी आपको कुण्डलिया पसंद आई हार्दिक आभार आपका
आदरणीय सलिल जी हार्दिक आभार आपका मनोग्य शब्द का संशय दूर् किया प्राची जी का भी आभार जिन्होंने इस त्रुटि को इंगित किया
पीले पीले वेश में आया बसंत " ह्रदय में खुशबू घोल गया .
आदरणीया को बधाई।
राजेश जी!
अच्छी कुण्डली हेतु बधाई.
ज्ञान = २ + १ = ३
विज्ञान = २ + २ + १ = ५
आरोज्ञ = आरोग्य = २ +२ +१ = ५
मनोज्ञ = मनोग्य = १ + २ = १ = ४
(आधा ग = 'ग्' = पूर्वाक्षर के साथ उच्चारित होगा जो पहले से दीर्घ हो तो दीर्घ अर्थात २ गिना जाएगा, पूर्वाक्षर लघु हो तो 'ग्' से मिलकर दीर्घ हो जाएगा)
अज्ञ = २ + १ = ३
विज्ञ = २ + १ = ३
सुन्दर कुण्डलियाँ, जिसके माध्यम से ऋतुराज बसंत के आगमन का अहसास कराया है, हार्दिक बधाई राजेश कुमारी जी
विज्ञान की मात्रा ५ है
(वि + आधा ज )=२ + ञा = २ + न +१ = ५
विज्ञान में आधा ज का भार वि पर जा रहा है, जिससे इसे २ गिनते हैं
परन्तु ज्ञान में ज्ञा को २ ही गिनेंगे क्योंकि आधा ज का भार किसी और अक्षर पर नहीं पढ़ रहा है, इसलिए ज्ञान +३ होगा ..
शायद यह मैं स्पष्ट कर पाई.
सादर.
आदरणीया राजेश जी,
मुझे याद है कि एक बार आदरणीय सौरभ जी से 'ज्ञ' संयुक्ताक्षर पर मंच पर चर्चा हो चुकी है,
तब हमें पता चला था कि ज्ञ = आधा ज + ञ होता है ... जो व्याकरण की मूलभूत पुस्तकों में भी दिया गया है.
मनोज्ञ की मात्रा भी ४ ही होगी, और मनोग्य की मात्रा भी ४ ही होगी.
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