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आई दिवाली -- शुभकामनायें!!

अब तक तो सभी घरों मे रंग रोगन होकर नए तरीके से सभी के घर भी सज चुके है । जिन घरों मे रंग रोगन नहीं हुआ है वहाँ साफ सफाई होकर सज सज्जा के साथ घरों को लक्ष्मी जी के आगमन हेतु तैयार कर लिया गया है । इस दिवाली लक्ष्मी जी सभी के घरों को खुशियों से भर दें । सभी के मनों मे प्रेम, सौहार्द्य एवं सच्चाई का उजाला भर दें ।कहा जाता है कि दीपावली कि रात्री मे विष्णु प्रिया श्री लक्ष्मी सदगृहस्थों के घर मे प्रवेश कर यह देखती है कि हमारे निवास योग्य घर कौन से है ? और जहां कहीं भी उन्हे निवास की अनुकूलता दिखाई देती है , वह वहीं रम जाती हैं । अतएव आज के दिन मनुष्यों को अपना घर ऐसा बनाना चाहिए जो भगवती लक्ष्मी के मनोनुकूल हो । इसलिए मानुषों मे यह होड रहती है कि किसका घर देवी लक्ष्मी के अनुकूल बने और लक्ष्मी वहीं आ पधारें और वहाँ से अन्यत्र कहीं जाने का भी नाम न लें । भगवती लक्ष्मी की प्रिय वस्तुओं को जुटा कर पूजन करना चाहिए । उनको  सबसे अधिक प्रिय है स्वच्छ घर और प्रसन्न वातावरण , इसके अभाव मे वे प्रभु श्री विष्णु का भी परित्याग कर देती है । एक बार देवी रुक्मिणी के द्वारा  उनसे पूछने पर कि हे देवि ! आप किन स्थानों पर रहती है और किन पर कृपा कर उन्हे अनुगृहीत करती है ? तब स्वयम देवी जी उन्हे यह बताती है :-

 

* वसामि नित्यं सुभगे प्रगल्ल्भे

      दक्षे  नरे कर्मणि वर्तमाने ।

अक्रोधने देवपरे कृतज्ञे

       जितेंद्रिय नित्यमुदीर्णसत्त्वे ॥ 1॥

स्वधर्मशीलेषु च धर्मवित्सु

       वृद्धोपसेवानिरते च दान्ते ।

कृतात्मनि क्षांतिपरे समर्थे

        क्षान्तासु दान्तसु तथा बलासु ॥ 2 ॥

वसामि नारीसु पतिव्रतासु

        कल्याणशीलाषु विभूषितासु ॥ 3 ॥ ( * तीनों श्लोक महाभारत से उद्धृत )

अर्थात मै उन पौरुषों के घरों मे सतत निवास करती हूँ जो सौभाग्य शाली , निर्भीक , सच्चरित्र , कर्त्तव्य पारायण है । जो अक्रोधी , भक्त , कृतज्ञ , जितेंद्रिय , सत्व सम्पन्न होते है , जो स्वभावतः निज धर्म , कर्तव्य, सदाचार मे सतर्कता पूर्वक रत  रहते है सपुरुषों , गुरुजनों , वृद्ध जनो की सेवा मे निरत रहते है । जो सदा मन को वश मे रखने वाले क्षमा शील , जिनको देख सभी का हृदय प्रसन्न हो जाता है । जो शीलवती , सौभाग्यवती , गुणवती , पतिपरायणा , सबका मंगल चाहने वाली नारियां है उन सबका गृह त्याग कर कभी नहीं जाती ।इसके विपरीत होने पर मै उस स्थान पर कभी नहीं टिकती जहां इन गुणों का अभाव रहता है । इस लिए इस दीपावली श्री लक्ष्मी माँ किसी का भी घर त्याग कर या कुपित होकर न  जाएँ , सभी के मनों मे व घरों मे चिर निवास बनाएँ । इस अभिलाषा के साथ मै यहाँ विराम देती हूँ ।

 

अप्रकाशित एवं मौलिक

अन्नपूर्णा बाजपेई 

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Comment by annapurna bajpai on November 9, 2013 at 1:02pm

आदरणीय सुशील जी आपका हार्दिक आभार । 

Comment by Sushil.Joshi on November 9, 2013 at 11:43am

आ0 अन्नपूर्णा जी.... इस सुंदर एवं सार्थक लेख हेतु हार्दिक बधाई......

Comment by annapurna bajpai on November 8, 2013 at 7:27pm

आ0 नीरज मिश्रा जी , आ0 अखिलेश श्रीवास्तव जी ,आ0 जितेंद्र जी , आ0 बृजेश जी , आ0 सचिन जी सबसे पहले प्रतिउत्तर विलंब से देने के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ , तत्पश्चात आप सभी विदु जनों का हार्दिक आभार । 

Comment by annapurna bajpai on November 8, 2013 at 7:23pm

  आदरणीया कुंती जी विलंब से प्रतिउत्तर देने के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ , आपका हार्दिक आभार । 

Comment by Sachin Dev on November 6, 2013 at 6:58pm

आदरणीय अन्नपूर्णा जी, दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएं ! 

Comment by बृजेश नीरज on November 6, 2013 at 10:20am

दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें!

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on November 5, 2013 at 9:37am

आदरणीया अन्नपूर्णा जी, सर्वप्रथम आपको सपरिवार दीपावली की मंगल शुभकामनायें..

 

आपने अपने अनुभवी जीवन से जो जानकारी, हम सभी से साझा की है, उसके लिए आपको अनेको धन्यवाद, आपका कहना सच है जिस घर में स्वच्छता व् सदभावना हो, जहाँ बुजुर्गों के प्रति सेवा भावना, बड़ों का मान-सम्मान, छोटो को स्नेह व् समय पर सीख, यह सब होता हो, वहां हर समय लक्ष्मी व् नारायण का आशीर्वाद रहता है, पर आज के तुनक मिजाज वाले इन्सान को यह सब हजम नहीं होती है, आलसी, मक्कार, और स्वार्थी इन्सान को सिर्फ बच निकलने की आदत सी हो गयी है, वो रोज एक अपनी एक समस्या, चाहे वह आर्थिक, सामाजिक, स्वास्थ संबंधी, पारिवारिक, या अन्य कोई समस्या हो, उनको कचरे की तरह घर या मन में एकत्रित करता जा रहा है, शायद यह सोचता हो, वर्तमान में खुश रहो, भविष्य में निपटेंगे, पर यह नही जानता हो कि कल का भविष्य, फिर से आज का वर्तमान बन के सामने खड़ा हो जायेगा, हर इन्सान को रिश्तों से डर लगने लगा है, वो दुनिया में अपने स्वार्थी स्वाभाव से एक ही रिश्ता निभाने की सोच रहा है, जबकि उसे यह जानकारी होना चाहिए की अगर इन्सान को अपने सभी रिश्ते चाहे वह किसी भी रूप में हो निभाना ही पड़ेगा, अन्यथा यह छोटी-छोटी खुशिया, जो अपने स्वार्थी स्वाभाव से इकट्ठी की है, किसी भी समय उसे अँधेरे में खड़ा कर देंगी..

 

सभी के सुख-दुःख में शामिल होकर खड़े रहेगे, तभी शायद हर रात दीपावली होगी और हर दिन होली...

आदरणीया मुझे क्षमा करना, अपनी भावनाओं में बहकर, अगर कुछ ज्यादा कह गया हूँ   

 

 

 

Comment by अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव on November 4, 2013 at 10:51pm

अच्छी जानकारी देने के लिए धन्यवाद अन्नपूर्णाजी । दीवाली की शुभकामना ।

Comment by Neeraj Nishchal on November 4, 2013 at 9:34pm

आदरणीया अन्नपूर्णा जी बहुत ही अच्छा लिखा है
काफी सारी शुभकामनाएं देता हूँ आपको दीवाली श्रंखला के सारे त्योहारों की

प्रणाम

Comment by coontee mukerji on November 4, 2013 at 2:20pm

बहुत सुंदर.लक्ष्मी तो वही सदा के लिये वास करती है जिस घर में सदभावना हो.

शुभकामनाएं

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