For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रिश्तों की ताप

बर्फ सी ठंडी हथेली में, सूरज का ताप चाहिए

फिर बँध जाए मुट्ठी, ऐसे जज्बात चाहिए ।

बाँध सर पे कफन, कुछ करने की चाह चाहिए

मर कर भी मिट न सके, ऐसे बेपरवाह चाहिए।

मन में उमड़ते भावों को,शब्दों का विस्तार चाहिए

शब्द भाव बन छलक उठे,ऐसे शब्दों का सार चाहिए।

पथरा गई संवेदनाएं जहाँ , रिश्तों की ताप चाहिए

चीख कर दर्द बोल उठे,अहसासों की ऐसी थाप चाहिए।

चीर कर छाती चट्टानों की,नदी की सी प्रवाह चाहिए

अंजाम जो भी हो बस, बढ़ते रहने की चाह चाहिए ।

*************

महेश्वरी कनेरी

-मौलिक व अप्रकाशित

Views: 627

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Maheshwari Kaneri on December 26, 2013 at 9:07pm
धन्यवाद सौरव जी..

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 20, 2013 at 2:45am

इस मंच पर इस प्रस्तुति के साथ आपका हार्दिक स्वागत है, आदरणीया माहेश्वरीजी.

आप जितना हो सके इस मंच पर प्रस्तुत हुई नई-पुरानी रचनाओं को पढ़ती जायें. ढूँढ-ढूँढ कर पढ़ें.

यह अवश्य है कि बहुत कुछ मिलेगा और कई तथ्य स्पष्ट होते जायेंगें. 

सादर

Comment by vandana on December 19, 2013 at 6:49am

बहुत सुन्दर भाव आदरणीया महेश्वरी मैम

Comment by AVINASH S BAGDE on December 18, 2013 at 11:23pm

शब्द भाव बन छलक उठे,ऐसे शब्दों का सार चाहिए।..महेश्वरी कनेरी mam sunder bhaw 

Comment by Maheshwari Kaneri on December 18, 2013 at 7:08pm

सभी मित्रबंधुओ को उत्साहवर्धक टिप्पणियों के लिए आभार....


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on December 18, 2013 at 4:45pm

भावप्रधान द्विपदियों के लिए हार्दिक बधाई आ० माहेश्वरी कनेरी जी

Comment by savitamishra on December 18, 2013 at 11:47am

bahut sundar

Comment by Shyam Narain Verma on December 18, 2013 at 10:18am
बहुत बहुत बधाई इस सुन्दर रचना के लिए ……………..
Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on December 18, 2013 at 12:28am

सुंदर भाव से संजोयी रचना पर बधाई स्वीकारें आदरणीया

Comment by coontee mukerji on December 17, 2013 at 11:01pm

पथरा गई संवेदनाएं जहाँ , रिश्तों का ताप चाहिए

चीख कर दर्द बोल उठे,अहसासों का ऐसा थाप चाहिए।..........अति सुंदर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Nov 2
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Oct 31
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service