For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

संक्रमित संस्कृति बनाम प्रदूषण

संक्रमित संस्कृति हमारी, सभ्यता गतिमान है |

सद्कथाएँ मिथ न हों इसका हमे ना भान है |

पर्यावरण दूषित हुआ यह क्या नही प्रमाण है ?

लुप्तप्राय कुछ जंतु जिसमें गरुण का अवसान है |

 

अंधानुकर विज्ञान का यह क्या हमारी भूल है ?

उस कृत्य से वंचित हुए हम जो जीवन का मूल है ?

सारा जहाँ ही देखिये जिस कृत्य में मसगूल है,

भौतिकता की चाह में सर्वत्र चुभता शूल है |

 

कल्पतरु मेरी ये वसुधा अनगिनत उपहार देती,

थोड़ा भी यदि श्रम करें प्रतिफल हमे आहार देती |

कृषि-श्रेष्ठ ये भारत हमारा, मृदा भी उर्वर हमारी |

उपयोग अति रासायनिक खाद दे जाती बिमारी |

 

जल प्रदूषण, वायु दूषण, मृदा एवं ध्वनि प्रदूषण,

इन सभी से भी अधिक है व्याप्त वैचारिक प्रदूषण |

क्या हम कभी संकल्प ले सकते हैं इस परिप्रेक्ष्य में,

दूषण रहित निज कर्म, संततियाँ फलें सापेक्ष्य में ?

 

हे श्रेष्ठकृति विद्वज्जनों! मिलकर सभी विचार कर लें |

मिथ दम्भ भरना छोड़के, कर्तव्य का आचार कर लें |

मन वचन केवल न, हो निज कर्म भी द्रुत दामिनी सी,

दूसरों को छोड़ पहले स्वयं में संचार कर लें |

(संसोधित)

++++++++++++++++++++++++++++

शरद सिंह “विनोद”

(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 617

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SHARAD SINGH "VINOD" on December 30, 2014 at 6:47pm

आदरणीय श्री लक्ष्मण रामानुज जी साभार धन्यवाद!!

OBO team  के अग्रज, गुरुजन से आग्रह है कि पुनः रचना को संसोधित करने हेतु क्या किया जाय?

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on December 30, 2014 at 1:57pm

बहुत सुंदर रचना हुई है | इस सुंदर और  बाह्पूर्ण भावाभिव्यक्ति में -

कृषि-श्रेष्ठ ये भारत हामारा, मृदा भी उर्वर हमारी |

अतिरिक्त फल की चाह में रासायनो से ली बिमरी |--"और फल की चाह में रासायनिक-खाद से ली बिमारी" करने पर संशय दूर हो सकता है |  कुछ वरनी जैसे उपरोक्त पंक्तियों में अंकित की को भी सुधार ले | अनुपम रचना के लिए हार्दिक बधाई 

Comment by SHARAD SINGH "VINOD" on December 30, 2014 at 1:38pm

आदरणीय दूबे जी..

कल्पतरु मेरी ये वसुधा अनगिनत उपहार देती,

थोड़ा भी यदि श्रम करें प्रतिफल हमे आहार देती |

कृषि-श्रेष्ठ ये भारत हामारा, मृदा भी उर्वर हमारी |..इन पंक्तियों के सापेक्ष्य....अतिरिक्त फल की चाह में रासायनो से ली बिमरी |... यानी माँ भारती जितने मे पोषित करना, पुष्ट करना चाहती है उससे कहीं ज्यादा भौतिक संसाध-सुखों की पूर्ति हेतु हेतु रसायनिक उर्वरकों का उपयोग कर हम सब उस अन्न को खाकर खुद कमजोर, रुग्ण हो ही रहे हैं और मृदा प्रदूषित तो हो ही रही है... मेरी बौद्धिक क्षमता इन भावों को  "अतिरिक्त ------------- बिमरी |" इन्ही पंक्तियों में बाँध पाई... यदि कोई सुझाव हो तो सादर स्वीकार्य..

Comment by SHARAD SINGH "VINOD" on December 30, 2014 at 1:02pm

सोमेश जी धन्यवाद!..सादार...

Comment by SHARAD SINGH "VINOD" on December 30, 2014 at 1:01pm

आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सादर धन्यवाद!..... आपके विश्वास पर खरा उतरने का प्रयास करूँग|

Comment by SHARAD SINGH "VINOD" on December 30, 2014 at 12:56pm

आदरणीय शिज्जु "शकूर" जी हौसला आफ़जाई के लीये धन्यवाद//सादर..!

Comment by SHARAD SINGH "VINOD" on December 30, 2014 at 12:51pm

आदरणीय Dr. Vijai Shanker जी भावनाओं को तवज्जो देने के लिये सहृदय धन्यवाद.... आप सही हैं, 'मशगूल' को 'मसगूल' जैसी त्रुटि हुई है|

Comment by SHARAD SINGH "VINOD" on December 30, 2014 at 12:43pm

आदरणीय डॉ0 श्रीवास्तव जी साभार धन्यवाद ! विश्लेषणात्मक अध्ययन हेतु... कहीं कविता के उद्देश्य से ना भतक जाऊँ इसलिये भौतिक रूप (छंद विधान) को सँवार नहीं पाया हूँ|... इस पहलू पर भी प्रयास करूँगा|

Comment by somesh kumar on December 30, 2014 at 11:35am

सुंदर प्रस्तुति ,विषय भी अच्छा चुना है ,कृपया दिए गए सुझावों पर अमल करें |

Comment by Hari Prakash Dubey on December 29, 2014 at 11:02pm

 आदरणीय शरद सिंह “विनोद” जी  इस लाइन को देखें .......अतिरिक्त फल की चाह में रासायनो से ली बिमरी |....बाकी सुन्दर रचना के लिए हार्दिक बधाई !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

शोक-संदेश (कविता)

अथाह दुःख और गहरी वेदना के साथ आप सबको यह सूचित करना पड़ रहा है कि आज हमारे बीच वह नहीं रहे जिन्हें…See More
1 hour ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"बेहद मुश्किल काफ़िये को कितनी खूबसूरती से निभा गए आदरणीय, बधाई स्वीकारें सब की माँ को जो मैंने माँ…"
1 hour ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post जो कहता है मज़ा है मुफ़्लिसी में (ग़ज़ल)
"बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' जी"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। उत्तम गजल हुई है। हार्दिक बधाई। कोई लौटा ले उसे समझा-बुझा…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छन्न पकैया (सार छंद)
"आयोजनों में सम्मिलित न होना और फिर आयोजन की शर्तों के अनुरूप रचनाकर्म कर इसी पटल पर प्रस्तुत किया…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन पर आपकी विस्तृत समीक्षा का तहे दिल से शुक्रिया । आपके हर बिन्दु से मैं…"
Tuesday
Admin posted discussions
Monday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपके नजर परक दोहे पठनीय हैं. आपने दृष्टि (नजर) को आधार बना कर अच्छे दोहे…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"प्रस्तुति के अनुमोदन और उत्साहवर्द्धन के लिए आपका आभार, आदरणीय गिरिराज भाईजी. "
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service