" क्यों मारा उसको , अब तो कोई रिश्ता नहीं बचा था तुम्हारे बीच ?
" एक रिश्ता तो था ही , नफ़रत का | मेरी बहन को जिन्दा जलाने के बाद किसी और से शादी करने जा रहा था वो "|
" पर उसके लिए तो कोर्ट से मिली सजा उसने भुगत ली थी , फिर क्यों ?
" किसी और बहन का जलना .., वो वाक्य पूरा नहीं कर पाया !
.
मौलिक एवम अप्रकाशित
Comment
बहुत बहुत आभार आदरणीय डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी , विलम्ब से उत्तर देने के लिए छमा चाहूंगा..
वाह वाह विनय जी
बहुत सुन्दर कथा उतनी हे सुन्दर प्र्स्तुति
बहुत बहुत आभार आदरणीय डॉ प्राची सिंह जी , आप को लघुकथा पसंद आई , सादर धन्यवाद ..
बहुत बहुत आभार आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी , आपका अनुमोदन मिलने से प्रसन्नता होती है , सादर.
सजा मिलने से अगर फितरत बदलती दिखती तो शायद हाथ न उठता..
अर्थप्रधान सुन्दर प्रस्तुति
हार्दिक बधाई आ० विनय कुमार सिंह जी
संवादों में भाव-भविष्य का वर्णन इस लघुकथा को सार्थकता देता हुआ है, आदरणीय विनयजी. हार्दिक बधाई स्वीकारें
बहुत बहुत आभार आदरणीय महर्षि त्रिपाठी जी , आपका कथन सही है , सादर धन्यवाद आपका..
बहुत बहुत आभार आदरणीय प्रतिभा पाण्डेय जी , आपको लघुकथा ने प्रभावित किया , सादर धन्यवाद आपका .
बहुत बहुत आभार आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी , आपको लघुकथा ने प्रभावित किया , सादर धन्यवाद आपका.
कभी - कभी ,बड़े -बड़े अपराध करने वाले नाबालिग निकल जाते हैं और उन्हें चन्द दिनों की सजा मिलती है ,जिसने सबकुछ खो दिया हो असल पीड़ा उसे ही पता होती है| बढ़िया लघुकथा आ.vinaya kumar singh जी |
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