For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गुस्से से उबल रहे थे चौहान जी , प्रदेश के कई भागों से दंगे की खबरे आ रहीं थी | उनको लग रहा था कि काश उनको मौका मिले तो वो उन सब को सबक सिखा दें | अचानक उनको याद आया और पूछा " रामलीला की सारी तैयारी हो गयी , रावण का पुतला बन गया कि नहीं ?
" हाँ , पुतला बन के आ गया है | वो पैसे लेने आया है , दे दीजिये "|
" ठीक है , भेज दो उसको अंदर "|
" कितना हुआ रहीम ?
" अरे जितना देना हो , दे दीजिये | इस काम के पैसे का भी मोल भाव करूँगा "|
रहीम की बात सुनकर उनको कुछ तो हुआ और यकबयक उनके हाथों ने रहीम की हथेली को कस कर पकड़ लिया |
मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 725

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विनय कुमार on July 23, 2015 at 12:39pm

बहुत बहुत आभार आदरणीया डॉ प्राची सिंह जी , आपको लघुकथा ने प्रभावित किया , सादर धन्यवाद आपका .

Comment by विनय कुमार on July 23, 2015 at 12:38pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय जवाहर लाल सिंह जी.

Comment by विनय कुमार on July 23, 2015 at 12:38pm

दरअसल ये गंगा जमुनी तहज़ीब की जड़ें इतनी गहरी हैं कि छोटी मोटी घटनाएँ इसको हिला नहीं सकतीं | आपने बिलकुल सही समझा आदरणीय महर्षि त्रिपाठी जी..


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 23, 2015 at 7:19am

पूर्वाग्रह ग्रस्त हो कर मन में समाज के किसी भी समुदाय के प्रति कटुका की भावना रखना सर्वथा अनुचित है.

आपसी समन्वय और भाईचारा राष्ट्र-चेतना में अन्तर्प्रवाहित है जिसे स्वीकार करने के लिए कहानी के पात्र चौहान साहब का ह्रदय खुला तो सही..:))

सुन्दर प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on July 22, 2015 at 10:39pm

बहुत ही सुन्दर पेशकश ...धर्म के नाम पर दंगा फैलानेवालों के लिए सुन्दर सन्देश!

Comment by maharshi tripathi on July 22, 2015 at 7:40pm

आ. vinaya kumar singh जी ,छ्माप्रार्थी हूँ पर आखिरी लाइन समझ नही पा रहा हूँ ,कृपया अर्थ समझाये ?क्या उन्हों ने रहीम से हाथ्  मिलाकर एकता का सन्देश दिया ?

Comment by विनय कुमार on July 21, 2015 at 5:35pm

बहुत बहुत आभार आदरणीया नीता कसार जी ..

Comment by Nita Kasar on July 21, 2015 at 5:21pm
भगवान से डरना ज़रूरी है धर्मभीरू मन यही आकर इंसानियत का झंडा बुलंद करता है ।बधाई स्वीकार करें आद०विनय कुमार सिंह जी ।
Comment by TEJ VEER SINGH on July 21, 2015 at 3:44pm

आदरणीय  विनय जी,बहुत ही उमदा लघुकथा!धर्म कर्म के मामले में कैसी सौदेबाज़ी!!हार्दिक बधाई!

Comment by विनय कुमार on July 21, 2015 at 12:35pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय धर्मेन्द्र कुमार सिंह जी.. 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय दया राम भाई , बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है , हार्दिक बधाईयाँ "
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय अजय भाई ,  अच्छी ग़ज़ल हुई है , आ. नीलेश भाई की सलाहें भी अच्छीं हैं , ध्यान …"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"वो अकेले में घृणित उदगार भी करते रहे जो दुकाने खोल सबसे प्यार भी करते रहे   नव दवा बीमार का…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीया रिचा जी , खूबसूरत ग़ज़ल  के लिए आपको हार्दिक बधाई "
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आ. नीलेश भाई , हमेशा की तरह आपकी एक और अच्छी ग़ज़ल पढ़ने को मिली , ग़ज़ल के लिए आपको बधाई , गिरह …"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय शिज्जू भाई बढ़िया ग़ज़ल कही है आपने , हार्दिक बधाई , गिरह का शेर अच्छा लगा , आपको बधाई "
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , अच्छी ग़ज़ल कही कही है आपने , और चर्चा और सलाहें भी खूब हुई है , ग़ज़ल के लिए आपको…"
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आ. अजय जी, मुसहफी के शेर में जिस घटना का वर्णन है वह जल प्रलय की स्थिति पर है जब नूह या नोआ ने अपनी…"
2 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आपकी ग़ज़ल अच्छी है फिर भी कुछ विचार प्रस्तुत हैं। राष्ट्र-निष्ठा के प्रकट उद्गार भी करते रहे सारे…"
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"धन्यवाद आ. तिलकराज सर  अवतार वाला शेर एक तरह से उनके दंभ पर तंज़ है जो स्वघोषित धर्म रक्षक बने…"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय निलेश जी, आपकी टिप्पणी से प्रोत्साहन मिला। हार्दिक धन्यवाद। जो आपने कहा है वैसा प्रयास…"
3 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"वक्त बदला तो उसे स्वीकार भी करते रहे जिन्दगी में प्यार का व्यवहार भी करते रहे इसमें दोनों पंक्तियॉं…"
3 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service