For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

" इतने पैसे नहीं हैं मेरे पास , सोच समझ कर माँगा और खर्च किया करो ", पति की आवाज़ उसके मन को मथ रही थी | काश उसने भी नौकरी की होती तो आज पार्टी के लिए पैसे मांगने की नौबत तो नहीं आती | यही सब सोचती किचन की ओर बढ़ी थी कि अचानक उसके कदम ठिठक गए | दरवाजे से उसकी नज़र पड़ गयी थी कामवाली पर जो नीचे रखे प्लेट्स में से निकाल कर पूरी वगैरह अपने पल्लू में बांध रही थी |
फिर उसने एक प्लेट में ढेर सारा खाने का सामान रखा और थोड़ी दूर से आवाज़ लगायी " बाई , ये प्लेट भी धुलने में रख देना "|
उसे बाई को सीधे खाना देना पता नहीं क्यों ठीक नहीं लगा |
मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 611

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विनय कुमार on July 20, 2015 at 12:43pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी , लघुकथा के मर्म ने आपको छुआ , ह्रदय से धन्यवाद आपको.

Comment by विनय कुमार on July 20, 2015 at 12:41pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय जवाहर लाल सिंह जी ..

Comment by विनय कुमार on July 20, 2015 at 12:41pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय ओमप्रकाश क्षत्रिय जी..


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on July 19, 2015 at 9:43pm

कमाल ...कमाल...कमाल 

लाज़वाब लघुकथा आदरणीय विनय जी. 

गज़ब लिखा है आपने झन्नाटेदार 

चकित हूँ .... बहुत बहुत धन्यवाद इस प्रस्तुति हेतु 

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on July 19, 2015 at 8:02pm

बहुत ही सुन्दर मनोवैज्ञानिक विश्लेषण !

Comment by Omprakash Kshatriya on July 19, 2015 at 10:27am

वाह नायिका  को भीख मांगना और देना - दोनों को बुरा मानना अच्छा लगा. बधाई इस मनोविशालेश्नात्मक  लघुकथा के लिए.

Comment by विनय कुमार on July 17, 2015 at 8:10pm

बहुत बहुत आभार आदरणीया सविता मिश्रा जी..

Comment by savitamishra on July 17, 2015 at 7:09pm
  1. अपना स्वाभिमान मात खाता हैं तो दूजे के स्वाभिमान का भी ख्याल आने लगता हैं...बहुत बढ़ोया कथा
Comment by विनय कुमार on July 17, 2015 at 2:44pm

बहुत बहुत आभार आदरणीय मनोज कुमार एहसास जी..

Comment by मनोज अहसास on July 17, 2015 at 11:25am
बहुत प्रभावी अभिव्यक्ति
बधाई
सादर

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, सुंदर ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करें।"
10 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय दया राम भाई , बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है , हार्दिक बधाईयाँ "
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय अजय भाई ,  अच्छी ग़ज़ल हुई है , आ. नीलेश भाई की सलाहें भी अच्छीं हैं , ध्यान …"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"वो अकेले में घृणित उदगार भी करते रहे जो दुकाने खोल सबसे प्यार भी करते रहे   नव दवा बीमार का…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीया रिचा जी , खूबसूरत ग़ज़ल  के लिए आपको हार्दिक बधाई "
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आ. नीलेश भाई , हमेशा की तरह आपकी एक और अच्छी ग़ज़ल पढ़ने को मिली , ग़ज़ल के लिए आपको बधाई , गिरह …"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय शिज्जू भाई बढ़िया ग़ज़ल कही है आपने , हार्दिक बधाई , गिरह का शेर अच्छा लगा , आपको बधाई "
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , अच्छी ग़ज़ल कही कही है आपने , और चर्चा और सलाहें भी खूब हुई है , ग़ज़ल के लिए आपको…"
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आ. अजय जी, मुसहफी के शेर में जिस घटना का वर्णन है वह जल प्रलय की स्थिति पर है जब नूह या नोआ ने अपनी…"
2 hours ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आपकी ग़ज़ल अच्छी है फिर भी कुछ विचार प्रस्तुत हैं। राष्ट्र-निष्ठा के प्रकट उद्गार भी करते रहे सारे…"
2 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"धन्यवाद आ. तिलकराज सर  अवतार वाला शेर एक तरह से उनके दंभ पर तंज़ है जो स्वघोषित धर्म रक्षक बने…"
3 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-179
"आदरणीय निलेश जी, आपकी टिप्पणी से प्रोत्साहन मिला। हार्दिक धन्यवाद। जो आपने कहा है वैसा प्रयास…"
3 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service