For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

खाली खाली सी ज़िन्दगी (मुक्त कविता)

जिंदगी कुछ खाली खाली सी लगती है 
दुनिया अचानक सुनसान सी लगती है 
खुशियों में आज इक तड़प सी क्यों है 
दिल दर्द के बिना परेशान सा क्यों है 
तुझ से कुछ भी तो नहीं माँगा ऐ खुदा 
फिर आसपास हंसी की फुहारे क्यों है 
चाहत नहीं हँसते नजारों की अल्लाह 
फिर सूनी सी बगिया में बहारें क्यों है 
नशा जो मांगती हूँ ग़म-ए-मुहब्बत का 
ऐ मेरे खुदा, फिर आज आंख में आंसू 
और इन जख्मों में मवाद कम क्यों है 
जिन्हें पाने की आस में तड़पे थे रात दिन 
वो दूरियां बना प्यास जगाये थे पल छिन 
जिनकी याद मिटाने को हम भटके दर बदर 
वो सामने ही आज क्यों खड़े हैं इस कदर 
जिनसे लड़ने को तेज़ाब थी दिल की लहर 
आज फिर जुबां पे ये खामोशी क्यों है 
तुमसे कुछ भी तो नहीं माँगा था ऐ खुदा 
फिर सच.. आज हंसी की फुहारे क्यों हैं !

निधि

मौलिक और अप्रकाशित 

Views: 573

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by narendrasinh chauhan on August 28, 2015 at 10:24am

सुंदर रचना के लिए बधाई


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on August 27, 2015 at 10:02am

आदरणीया निधि जी , इस प्रस्तुति के लिये आपको हार्दिक बधाई ।

Comment by Harash Mahajan on August 27, 2015 at 9:08am
"तुमसे कुछ भी तो नहीं माँगा था ऐ खुदा,
फिर सच....आज हंसी की फुहारें क्यों हैं" व्यथित मन के उद्गारों को बड़े सलीके से पेश किया है आदरणीय निधि जी । बधाई । सादर ।
Comment by Ravi Shukla on August 26, 2015 at 2:14pm

आदरणीया निधि जी प्रस्‍तुति के लिये हार्दिक आभार । यदि कथ्‍य कुछ और स्‍पष्‍ट हो सकता तो भाव और भी सुन्‍दर हो सकते है ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on August 25, 2015 at 11:08am

आदरणीया निधि जी,

 इस प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई. सादर 

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on August 25, 2015 at 10:18am

जिदगी के कशमकश को रूपायित करती हैं यह कविता .

Comment by kanta roy on August 25, 2015 at 8:56am

सुंदर रचना हुई है  आदरणीया निधि जी , बधाई स्वीकार करें ।

Comment by pratibha pande on August 25, 2015 at 8:28am
सुंदर रचना के लिए बधाई आपको आ० निधि जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाशजी  दीपावली अन्नकूट भाई दूज और छठ की शुभकामनाएँ । छंद पर आपका प्रयास सराहनीय…"
5 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभाजी, दीपावली अन्नकूट भाई दूज और छठ की शुभकामनाएँ । खिल उठता है बुझा हुआ मन, आते जब…"
5 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी चित्रानुकूल बहुत सुन्दर छंद सृजन। हार्दिक बधाई "
5 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह...दीपोत्सव के हर आयाम को समेट लिया है आपके इस गीत ने।अंतिम छंद का भाव बहुत सार्थक। हार्दिक बधाई…"
5 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
" आदरणीय चेतन प्रकाश जी जी एस टी का जिक्र रोचक बन पड़ा है। दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ…"
5 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाईजी, दीपावली अन्नकूट भाई दूज और छठ की शुभकामनाएँ । सरसी छंद की बीस पंक्तियों के लिए…"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। चित्रानुरूप सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
6 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ हर बरस हर नगर में होता, अरबों का व्यापार।         …"
6 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद  ______ जगमग दीपों वाला उत्सव,उत्साहित बाजार। जेब सोच में पड़ी हुई है,कैसे पाऊँ…"
16 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"चार पदों का छंद अनोखा, और चरण हैं आठ  चौपाई औ’ दोहा की है, मिली जुली यह ठाठ  विषम…"
16 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद * बम बन्दूकें और तमंचे, बिना छिड़े ही वार। आए  लेने  नन्हे-मुन्ने,…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
" प्रात: वंदन,  आदरणीय  !"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service