For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल : नाम को गर बेच कर

2122   2122    2122    212

नाम को गर बेच कर व्यापार होना चाहिए
दोस्तों फिर तो हमें अखबार होना चाहिए

आपके भी नाम से अच्छी ग़ज़ल छप जायेगी
सरपरस्ती में बड़ा सालार होना चाहिए

सोचता हूँ मैं अदब का एक सफ़हा खोलकर
रोज़ ही यारो यही इतवार होना चाहिए

क्या कहेंगे शह्र के पाठक हमारे नाम पर
छोड़िये, बस सर्कुलेशन पार होना चाहिए

हम निकट के दूसरे से हर तरह से भिन्न हैं
आंकड़ो का क्या यही मेयार होना चाहिए

नो निगेटिव न्यूज का मुद्दा मुनासिब आपका
गैर वाज़िब बात का प्रतिकार होना चाइये

है कहीं खोया हुआ विज्ञापनों के ढेर में
बीच में इनके कही अखबार होना चाहिए

मौलिक एवं अप्रकाशित ।

Views: 662

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ravi Shukla on March 17, 2016 at 3:23pm

आदरणीया कांता जी आपको गजल पंसद आई बहुत बहुत धन्‍यवाद । सादर

Comment by kanta roy on March 5, 2016 at 4:24pm

है कहीं खोया हुआ विज्ञापनों के ढेर में
बीच में इनके कही अखबार होना चाहिए ------- वाह ! क्या खूब ढूंढा है आपने अखबार को आदरणीय रवि जी। बहुत खूब ग़ज़ल हुई है आपकी। बधाई स्वीकार कीजियेगा।

Comment by Ravi Shukla on March 2, 2016 at 6:01pm

आदरणीय उमा शंकर जी आपको हमारी ग़जल पसंद आई इसके लिये आभारी है ।  एक उस्‍तादाना इस्‍लाह से इस शेर मे कोई कीजगह अच्‍छी गजल किया गया था आपने भी उसी शेर को कोट किया है । सादर धन्‍यवाद ।

Comment by Ravi Shukla on March 2, 2016 at 5:59pm

आदरणीय मनोज जी अखबार की वजह से उत्‍पन्न परेशानी से ये गजल कहने की शुरूआत हुई थी गजल तो कुइ माह पुरानी है पर इन दिनाे हमारी रेलवे की नौक्‍री इतना समय ही नहीं दे रही कि मंच पर अपने कलाम को रख कर चर्चा की जा सके इसी लिये  समय निकाल कर थोड़ी बहुत कोशिश कर रहे है जैसे मुशायरे में शिरकत की थी । आपको गजल पसंद आई धन्‍यवाद

Comment by Ravi Shukla on March 2, 2016 at 5:57pm

आदरणीय समर साहब आपसे गजल की तारीफ सुन कर लिखने का हौसला मिलता है बहुत बहुत शुक्रिया आपका

Comment by Ravi Shukla on March 2, 2016 at 5:56pm

आदरणीय गिरिराज भाई जी  गजल का अनुमोदन करने के लिये ह‍ार्दिक धन्‍यवाद

Comment by Ravi Shukla on March 2, 2016 at 5:55pm

आदरीणीय सुशील जी गजल को पसंद करने के लिये शुक्रिया

Comment by UMASHANKER MISHRA on March 1, 2016 at 11:09pm

आपके भी नाम से अच्छी ग़ज़ल छप जायेगी
सरपरस्ती में बड़ा सालार होना चाहिए ....क्या बात है बहुत बढ़िया आदरणीय रवि शुक्ला जी हार्दिक बधाई 

Comment by मनोज अहसास on March 1, 2016 at 10:15pm
बहुत खूब सर
आपके मन की
कुछ नयी उथल पुथल आपकी ग़ज़ल में दिखी है
बधाई सादर
Comment by Samar kabeer on March 1, 2016 at 8:56pm
जनाब रवि शुक्ल जी आदाब,बहुत उम्दा ग़ज़ल से नवाज़ा आपने मंच को,शैर दर शैर दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएँ ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"सहर्ष सदर अभिवादन "
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, पर्यावरण विषय पर सुंदर सारगर्भित ग़ज़ल के लिए बधाई।"
5 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय सुरेश कुमार जी, प्रदत्त विषय पर सुंदर सारगर्भित कुण्डलिया छंद के लिए बहुत बहुत बधाई।"
5 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय मिथलेश जी, सुंदर सारगर्भित रचना के लिए बहुत बहुत बधाई।"
5 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर कुंडली छंद हुए हैं हार्दिक बधाई।"
10 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
" "पर्यावरण" (दोहा सप्तक) ऐसे नर हैं मूढ़ जो, रहे पेड़ को काट। प्राण वायु अनमोल है,…"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। पर्यावरण पर मानव अत्याचारों को उकेरती बेहतरीन रचना हुई है। हार्दिक…"
12 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"पर्यावरण पर छंद मुक्त रचना। पेड़ काट करकंकरीट के गगनचुंबीमहल बना करपर्यावरण हमने ही बिगाड़ा हैदोष…"
13 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"तंज यूं आपने धूप पर कस दिए ये धधकती हवा के नए काफिए  ये कभी पुरसुकूं बैठकर सोचिए क्या किया इस…"
16 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आग लगी आकाश में,  उबल रहा संसार। त्राहि-त्राहि चहुँ ओर है, बरस रहे अंगार।। बरस रहे अंगार, धरा…"
16 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service