For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हिचकियाँ उसको न आयें डर रहा था

२१२२        २१२२      २१२२

याद उसको आज जब मैं कर रहा था

हिचकियाँ उसको न आयें डर रहा था

 

जिस जगह पर हुक्मरानों का महल है

हम गरीबो का वहाँ कल घर रहा था

 

जिस ग़ज़ल के दाम लाखों में लगे थे

उसका शाइर आज भूखा मर रहा था

 

वो सियासत दार कैसे मिलता तुमसे

रात दिन बस वो खजाने भर रहा था

 

वक़्त था अंतिम मगर वो झूठ बोले

वो हकीकत में कहाँ फिर मर रहा था

 

भेष को अपने बदलकर राम जैसे

रोज सीताओं को रावण हर रहा था

 

ढो रहे थे ईंट रोड़े आज घोड़े

घास गदहों का कबीला चर रहा था

 

ये जमी जोरू लड़ाई का सबब है

पर सबब सबसे बड़ा बस जर रहा था

 

तिश्नगी आँखों में उसकी ढूंढें आशू

जो सरापा जाम से ही तर रहा था

मौलिक व अप्रकाशित 

F-30

Views: 544

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 26, 2016 at 8:47pm

जिस जगह पर हुक्मरानों का महल है

हम गरीबो का वहाँ कल घर रहा था   -- लाजवाब ! आदरणीय आशुतोष भाई , बहुत अच्छी ग़ज़ल कही , दिल से बधाइयाँ आपको ।

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on June 26, 2016 at 9:20am
भेष को अपने बदलकर राम जैसे
रोज सीताओं को रावण हर रहा था.....बहुत ख़ूब

ढो रहे थे ईंट रोड़े आज घोड़े
घास गदहों का कबीला चर रहा था.....वाह्ह !
बेहतरीन कटाक्ष!हार्दिक बधाई आदरणीय
Comment by Dr Ashutosh Mishra on June 25, 2016 at 3:04pm

आदरणीय महेंद्र जी रचना पर आपकी प्रतिक्रियाके लिए हार्दिक धन्यवाद सादर 

Comment by Mahendra Kumar on June 25, 2016 at 2:08pm
बेहद उम्दा ग़ज़ल आदरणीय आशुतोष जी! हार्दिक बधाई!
Comment by Dr Ashutosh Mishra on June 25, 2016 at 2:02pm

आदरणीय श्याम जी आपका प्रोत्साहन मुझे सतत मिलता है ..रचना पर आपकी सकारत्म प्रतिक्रिया से मुझे हौसला मिला है सादर धन्यवाद के साथ 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on June 25, 2016 at 2:01pm

आदरणीय हर्ष जी रचना पर आपकी प्रतिक्रिया से मुझे उर्जा मिली है ..तहे दिल धन्यवाद स्वीकार करें सादर 

Comment by Shyam Narain Verma on June 25, 2016 at 12:59pm

जिस ग़ज़ल के दाम लाखों में लगे थे

उसका शाइर आज भूखा मर रहा था

इस लाजवाब, उम्दा ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत बधाई  सादर ।
Comment by Harash Mahajan on June 25, 2016 at 12:42pm

बहुत ही उम्दा आशुतोष मिश्र जी ...
"

जिस ग़ज़ल के दाम लाखों में लगे थे

उसका शाइर आज भूखा मर रहा था"

अच्छी पेशकश आ० आशुतोष जी !!..सभी शेर अच्छे रहे...दाद कबूल कीजियेगा !!

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
4 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
5 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
5 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
yesterday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Friday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday
anwar suhail updated their profile
Dec 6
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

न पावन हुए जब मनों के लिए -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

१२२/१२२/१२२/१२****सदा बँट के जग में जमातों में हम रहे खून  लिखते  किताबों में हम।१। * हमें मौत …See More
Dec 5
ajay sharma shared a profile on Facebook
Dec 4
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Dec 1
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Nov 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service