For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

संतों तक को झूठी रिपोर्ट के आधार पर गिरफ्तार कर सरकार अच्छा नहीं कर रही | देश विदेश में लाखों अनुयायी किसी के ऐसे ही बनते | मेरे घर से अपनी बहन के साथ इनके आश्रम में 15 दिन रहकर आई है | चेलों का बड़ा ख्याल रखा जाता है | नियमित व्याखान और पूजा पाठ चलता रहता है | बहुत पहुँचे हुए संत है, मैंने भी पुष्कर में इनके प्रवचन सुने है |

पाठक जी बोले - ये सब तो ठीक है ओझा जी, पर इनके खिलाफ अश्लील कारनामे और महिलाओं के साथ लिप्त पाए जाने के पुख्ता सबूत के आधार पर ही गिरफ्तार किया है | कई शहरों में इनके विरुद्ध ऍफ़ आई आर दर्ज हो रही है | ये पाक साफ़ है तो क्या सभी जगह झूठी शिकायते दर्ज हुई है क्या ? जब इनके बारे में जानकारी से तो पता चलता है कि ये दस नम्बरी रहे है | अब कुछ धार्मिक पोथियाँ पढ़कर. तिलक छापें लगाकर प्रवर्चन करते करते प्रसिद्द हो गए तो जनता में अँध भक्तो की कमी थोड़े ही है, जो इनको भगवान मानने लग गए | भोली भाली जनता को जरासा करिश्मा दिखाकर अरबो रूपये की संपत्ति बनाने वाले संत असली संत नहीं हो सकते | 
       ओझा जी ने कहाँ,- पाठक जी, जब मर्डर करने वाले ही जमानत पर छूट जाते है तो लाखो अनुयायियों की भावनाओं को देखते हुए इन्हें जमानत नहीं मिलनी ही चाहिए क्या ?

ओझा साहब, अगर ये पाक साफ़ और पहुँचे हुए सच्चे संत होते तो बिमारी के बहाने जमानत चाहने और अनुयायियों से हंगामा करवाने जैसे कार्य नहीं करवाते | और फिर देश के नामी वकीलों को लाखो रूपये फीस देकर भी जमानत नहीं करा पाए और सुप्रीम कोर्ट तक से इनकी कई बार जमानत की अर्जी खारिज हो चुकी है |   न जाने कितनों की जिन्दगी के साथ इन्होने खिलवाड़ किया है | ऐसे झूठे और पाखंडी संतो से ही धर्म के प्रति आस्था में कमी आती है | अब इनके अनुयायियों की संख्या भी काफी कम हो गई है और निरंतर घटती जा रही है | कोर्ट के प्रति अविश्वास जताना उचित नहीं है |

 

        इस जैसे संतों से है जनता की संतों के प्रति आस्था डगमगाती है और जब तक ये पाक साफ़ सिद्ध नहीं हो जाते किसी को इनके प्रति प्रेरित करना ठीक नहीं होगा | ये  सुनकर ओझा जी निरुत्तर हो गए |

 

(मौलिक व् अप्रकाशित)

Views: 722

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 27, 2017 at 3:51pm

 हार्दिक आभार आपका श्री सुशील सरना जी | सादर 

Comment by Sushil Sarna on February 26, 2017 at 6:51pm

यथार्थ को उजागर करती इस लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई। 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 26, 2017 at 3:13pm

लघु कथा का उद्देश्य जागरूक करना ही था आदरणीया  Nita Kasar जी | आपका हार्दिक आभार

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 26, 2017 at 3:03pm

लघु कथा पर आपकी सराहना और सुझाव के लिए हार्दिक आभार स्वीकारे श्री महेंद्र कुमार जी

Comment by Nita Kasar on February 26, 2017 at 12:51pm
एेसे पाखण्डी संत से जनता को जागरूक करना आवश्यक है,कथानक बहुत उम्दा है।संदेशप्रद कथा के लिये बधाई आद०लक्ष्मण रामानुज लड़ीवाला जी ।
Comment by Mahendra Kumar on February 25, 2017 at 7:58pm
आदरणीय लक्ष्मण रामानुज जी, आपने लघुकथा में बढ़िया विषय उठाया है किन्तु संवादों का विस्तार कुछ ज़्यादा हो गया। साथ ही संवादों को कोटेशन मार्क के अंदर रखें तो स्पष्टता और बढ़ जाएगी। बाकी लघुकथा बढ़िया है। मेरी ओर से हार्दिक बधाई। सादर।
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 25, 2017 at 1:43pm

बहुत बहुत आभार आपका श्री मोहम्मद आरिफ साहब 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 25, 2017 at 1:39pm

 लघु कथा सराहने के लिए हार्दिक आभार आपका श्री सुरेन्द्र नाथ कुश्क्षत्रय जी 

Comment by Mohammed Arif on February 21, 2017 at 5:34pm
आदरणीय लक्ष्मण रामानुज जी आदाब, आजकल में धर्म की आड़ में गाजर घास और कुकुर मुत्तों की तरह पाखंडी पैदा हो गये हैं ग़लत क्रिया कलाप में संलिप्त है । अच्छी लघुकथा । बधाई स्वीकार करें ।
Comment by नाथ सोनांचली on February 21, 2017 at 4:43pm
आद0 लक्ष्मण रामानुज जी सादर अभिवादन। समाज में बेतरीब ढंग से फैले तथा कथित स्वव्म्भू बाबाओं को आधार बनाकर लिखी गयी उम्दा लघुकथा के लिए बधाई। वस्तुतः यह लघुकथा दो व्यक्ति के बीच के तर्क तक ही सीमित हो गयी। फिर भी अपनी बात कहने में सफल रहे आप।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील सरनाजी, आपके नजर परक दोहे पठनीय हैं. आपने दृष्टि (नजर) को आधार बना कर अच्छे दोहे…"
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"प्रस्तुति के अनुमोदन और उत्साहवर्द्धन के लिए आपका आभार, आदरणीय गिरिराज भाईजी. "
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी

२१२२       २१२२        २१२२   औपचारिकता न खा जाये सरलता********************************ये अँधेरा,…See More
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा दशम्. . . . . गुरु

दोहा दशम्. . . . गुरुशिक्षक शिल्पी आज को, देता नव आकार । नव युग के हर स्वप्न को, करता वह साकार…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल आपको अच्छी लगी यह मेरे लिए हर्ष का विषय है। स्नेह के लिए…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति,उत्साहवर्धन और स्नेह के लिए आभार। आपका मार्गदर्शन…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आदरणीय सौरभ भाई , ' गाली ' जैसी कठिन रदीफ़ को आपने जिस खूबसूरती से निभाया है , काबिले…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय सुशील भाई , अच्छे दोहों की रचना की है आपने , हार्दिक बधाई स्वीकार करें "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है , दिल से बधाई स्वीकार करें "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , खूब सूरत मतल्ले के साथ , अच्छी ग़ज़ल कही है , हार्दिक  बधाई स्वीकार…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - चली आयी है मिलने फिर किधर से ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल  के शेर पर आपकी विस्तृत प्रतिक्रिया देख मन को सुकून मिला , आपको मेरे कुछ…"
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service