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अब की बारिश में - लक्ष्मण धामी "मुसाफिर" (गजल)

1222 1222 1222 1222

बहा कर ले गई नदिया खजाना अब की बारिश में
न बच पाया मुहब्बत का ठिकाना अब की बारिश में।1।

डुबो कर घर गए मेरा किसी की आँखों के आँसू
है आई बाढ़ समझे ये जमाना अब की बारिश में।2।

जहाँ मिलते थे तन्हा नित खुदा से आरजू कर हम
न जाने क्यों खुदा भूला बचाना अब की बारिश में।3।

हैं बाहर बदलियाँ रिमझिम कि भीतर आँखों से जलथल
बहुत मुश्किल है सीले खत सुखाना अब की बारिश में।4।

पहुँच हम तक भी जाएगी तुम्हारे तन की हर खुशबू
खुले आँगन में यारा तुम नहाना अब की बारिश में।5।

मौलिक व अप्रकाशित

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Comment

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Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 26, 2017 at 10:48pm
आ.भाई मोहित जी प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद ।
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 26, 2017 at 10:46pm
आ. भाई समर जी, उत्साहवर्धन और बेशकीमती सलाह के लिए आभार ।
Comment by Samar kabeer on August 21, 2017 at 5:55pm
जनाब लक्ष्मण धामी जी आदाब,ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है,बधाई स्वीकार करें ।
दूसरे शैर के दोनों मिसरों में रब्त नहीं है ।
'न जाने क्यों ख़ुदा भूला बचाना अब कि बारिश में'
इस मिसरे में ख़ुदा किसको बचाना भूला उसका ज़िक्र नहीं है,इस मिसरे को यूँ कर सकते हैं :-
'ख़ुदा भूला है क्यों उसको बचाना अब कि बारिश में'
पांचवें शैर में 'तन की हर ख़ुशबू',तन में कितनी खयशबुएं होती हैं? इसे 'जिस्म की ख़ुशबू' करना मुनासिब होगा ।
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 20, 2017 at 5:49pm
आ. भाई ब्रजेश जी,प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद ।
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 20, 2017 at 5:47pm
आ.भाई मुजफ्फर इकबाल जी, उत्साहवर्धन के लिए धन्यवाद।
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 20, 2017 at 5:45pm
आ. भाई सुरेंद्र जी, प्रशनसा के लिए आभार ।
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on August 20, 2017 at 5:44pm
आ. भाई श्यामनारायन जी, गजल का अनुमोदन करने हेतु आभार ।
Comment by MUZAFFAR IQBAL SIDDIQUI on August 20, 2017 at 12:57am

सुन्दर रचना  , बधाई। 

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on August 18, 2017 at 10:39pm
वाह वाह आदरणीय बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल कही है
बहुत मुश्किल है सीले खत सुखाना अब की बारिश में..बेहतरीन
Comment by नाथ सोनांचली on August 18, 2017 at 4:50am
आद0 लक्ष्मण धामी जी सादर अभिवादन, उम्दा ग़ज़ल, दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ। शेष गुणीजन बताएंगे

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