For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

वही वंशज है सूरज का - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' (गजल)

1222 1222 1222 1222

न जीवन राख कर लेना किसी की डाह में यारो
हमेशा सुख सभी का हो तुम्हारी चाह में यारो।1।

विचारों की गहनता हो न हो व्यवहार उथला ये
सुना मोती ही मिलते हैं समुद की थाह में यारो ।2।

वही वंशज है सूरज का बुजुर्गों ने कहा है सच
जलाए दीप जिसने भी तिमिर की राह में यारो ।3।

किसी को देके पीड़ा तुम न उसकी आह ले लेना
न जाने कैसी ज्वाला हो किसी की आह में यारो।4।

गगन के स्वप्न तो देखो धरा लेकिन न त्यागो तुम
हवा में उड़ना मत सीखो कि झूठी वाह में यारो ।5।

रिवाजों में है पतझड़ से तो पीड़ा ही मिला करती
दखल होने न दो गम का कभी मधुमाह में यारो।6।

मौलिक व अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

Views: 961

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 9, 2017 at 3:47pm
आ.भाई नवीन जी, इस अपार स्नेह के लिए आभार ।
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 9, 2017 at 3:44pm
आ.भाई मो. आरिफ जी, अभिवादन। उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद ।
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 9, 2017 at 3:40pm
आ. भाई सलीम रजा जी, प्रशंसा के लिए आभार ।
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 9, 2017 at 3:19pm
आ. भाई तस्दीक अहमद जी, प्रशंसा और बेहतरीन सलाह के लिए आभार ।
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 9, 2017 at 3:17pm
आ. भाई समर जी,अभिवादन। स्नह व प्रशंसा के लिए हार्दिक धन्यवाद ।
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on September 9, 2017 at 3:15pm
आ.भाई आशुतोष जी, उत्साहवर्धन के लिए आभार ।
Comment by Naveen Mani Tripathi on September 7, 2017 at 8:12am
वाह्ह्ह्ह्ह्ह् बहुत खूब ग़ज़ल हुई ।
Comment by Mohammed Arif on September 7, 2017 at 7:46am
आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आदाब, बहुत ही बेहतरीन ग़ज़ल । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।
Comment by SALIM RAZA REWA on September 6, 2017 at 8:56pm
जनाब लक्ष्मण धामी साहिब ,सुन्दर गज़ल हुई है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं । तस्दीक़ साहिब के कहे पर अमल जरूर कर लें.
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on September 6, 2017 at 6:42pm
जनाब लक्ष्मण धामी साहिब ,सुन्दर गज़ल हुई है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं । आखरी शेर के सानी मिसरे में सही उर्दू का शब्द दख्ल है दख़ल नहीं ,इसलिए उस मिसरे को यूं कर सकते हैं
न ग़म का दख्ल होने दो कभी मधुमाह में यारो ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . रोटी
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई।"
Saturday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . विविध
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर "
Thursday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . विरह
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
Thursday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय "
Thursday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर ।  नव वर्ष की हार्दिक…"
Thursday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .शीत शृंगार
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी । नववर्ष की…"
Thursday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . दिन चार
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।नववर्ष की हार्दिक बधाई…"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . दिन चार
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई।"
Thursday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .शीत शृंगार
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post नूतन वर्ष
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।।"
Wednesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-117
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मनन कुमार सिंह साहिब। लेखन के विपरित वातावरण में इतना और ऐसा ही लिख सका।…"
Dec 31, 2024

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service