For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कैसी ये बदहाली है ,
हर इंसान सवाली है ।

सूखे-सूखे होंठ सभी ,
उस चहरे पे लाली है ।

कौन ग़मों से बच पाया ,
सबने पीड़ा पाली है ।

जब से कूच कर गई माँ ,
घर भी खाली-खाली है ।

सब समझे हैं सभ्य उसे ,
गुंडा और मवाली है ।

ख़ुशियाँ रूठी बैठी है ,
ग़ुर्बत में दीवाली है ।
मौलिक एवं अप्रकाशित ।

Views: 879

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Mohammed Arif on September 6, 2017 at 11:55am
आदरणीय महेंद्र कुमार जी ग़ज़ल की सराहना और सुझाव का शुक्रिया ।
Comment by vijay nikore on September 6, 2017 at 1:23am

//कौन ग़मों से बच पाया ,
सबने पीड़ा पाली है //

बहुत खूब ! अच्छी गज़ल कही है.... दिल से बधाई, भाई मोहम्मद आरिफ़ जी।

Comment by Mahendra Kumar on September 5, 2017 at 3:48pm

आ. मोहम्मद आरिफ़ जी, आदाब. बहुत ही उम्दा ग़ज़ल हुई है. दिल से ढेर सारी बधाई स्वीकार कीजिए. 

//उस चहरे पे लाली है ।// क्या इस मिसरे को यूँ किया जा सकता है : "पर चहरे पे लाली है।" देख लीजिएगा. सादर.

Comment by Mohammed Arif on September 5, 2017 at 11:19am
जी, यह सर्वविदित है ।
Comment by Gurpreet Singh jammu on September 5, 2017 at 10:55am

जी आरिफ साहब,,  कुछ दिन तो पंजाब, हरयाणा में इंटरनेट सुविधा बंद होने के कारण और फिर कुछ अन्नय  व्यस्तताओं के चलते मंच पर उपस्थित नहीं हो पाया 

Comment by Mohammed Arif on September 5, 2017 at 10:50am
बहुत-बहुत आभार आदरणीय गुरप्रीत जी । बहुत दिनों के बाद मंच पर आना हुआ ।
Comment by Gurpreet Singh jammu on September 5, 2017 at 10:47am

उम्दा ग़ज़ल हुई है आदणीय मोहम्मद आरिफ जी,,, बधाई स्वीकार करें 

Comment by Mohammed Arif on September 4, 2017 at 8:23am
आदरणीय गजेंद्र जी ग़ज़ल पर प्रतिक्रिया, हौसला अफ़ज़ाई और सलाह का बहुत-बहुत शुक्रिया ।
Comment by Gajendra shrotriya on September 3, 2017 at 10:47pm
सभी अशआर अच्छे हुए हैं जनाब मो० आरिफ साहब। मुबारकबाद पेश करता हूँ।
//जब से कूच कर गई माँ//
इस मिसरे को और बेहतर किया जा सकता है। यहाँ कूच कर गई के स्थान पर रुख्सत,विदा या अन्य कोई प्रभावी शब्द लिया जा सकता है।
बहुत शुभकामनाएँ आपको।
Comment by Mohammed Arif on September 3, 2017 at 10:23pm
बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीय तस्दीक़ अहमद जी । लेखन सार्थक हो गया ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

कुंडलिया छंद

आग लगी आकाश में,  उबल रहा संसार।त्राहि-त्राहि चहुँ ओर है, बरस रहे अंगार।।बरस रहे अंगार, धरा ये तपती…See More
1 hour ago
Sushil Sarna posted blog posts
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

सीमा के हर कपाट को - (गजल)-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

२२१/२१२१/१२२१/२१२कानों से  देख  दुनिया  को  चुप्पी से बोलना आँखों को किसने सीखा है दिल से…See More
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीया प्राची दीदी जी, आपको नज़्म पसंद आई, जानकर खुशी हुई। इस प्रयास के अनुमोदन हेतु हार्दिक…"
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर"
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, आपके प्रत्युत्तर की प्रतीक्षा में हैं। "
22 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आभार "
22 hours ago

मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय, यह द्वितीय प्रस्तुति भी बहुत अच्छी लगी, बधाई आपको ।"
22 hours ago

मुख्य प्रबंधक
Er. Ganesh Jee "Bagi" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"वाह आदरणीय वाह, पर्यावरण पर केंद्रित बहुत ही सुंदर रचना प्रस्तुत हुई है, बहुत बहुत बधाई ।"
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई हरिओम जी, सादर आभार।"
23 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई हरिओम जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर बेहतरीन कुंडलियाँ छंद हुए है। हार्दिक बधाई।"
23 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई हरिओम जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर बेहतरीन छंद हुए है। हार्दिक बधाई।"
23 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service