For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

*** खाद ***(लघुकथा)राहिला

"तेरी ननद, तेरे लिए भी कभी कुछ लाई या बस खाली हाथ हिलाती हुई आ जाती है सब समेटने के लिए ...? "

ससुरालियों की बातें पूछते-पूछते , जब पीहर आयी बिटिया की ननद का जिक्र आया तो अनायास शकुंतला देवी का लहजा थोड़ा तल्ख़ सा हो गया।

"अरे राम भजो अम्माँ ! कैसी बातें करती हो? वह तो छोटी हैं । लाती क्या , उल्टा भारी विदाई देनी पड़ती है। अम्माँजी की बड़ी लाड़ली बिटिया हैं।"
उसने निष्छल सी हंसी हँसते हुए बताया ।

" आय -हाय तुझे इसमें हँसी आ रही है। ठीक है..., जब तक माँ है, तब तक ऐश कर लेने दो। माँ से मायका होता है। जैसे तेरी दादी के रहते तेरी बुआ का था। "

"लेकिन अम्माँ ! बुआ तो बहुत अच्छी थीं! आपको अपने मन मे उनके लिए कड़वाहट नहीं रखनी चाहिए थी ।"
बेटी पर भतीजी हावी हो गयी।

"अरे वाह... काहे की अच्छी ? खूब भर-भर का हमने भी विदा की उसकी , लेकिन मज़ाल कभी एक तिनका भी लायी उपहार में। आखिर भाभी थे हम उनकी।" उन्होंने रुतबा जताया।


"इसका तो ये मतलब हुआ अम्माँ ! यदि बुआजी, मायका वट में खाद-पानी डालती रहती तो उनका घरौंदा तोड़ा नहीं जाता?

अम्माँ की बातों से आहत सुकु ने अपनी सहृदयी माँ को अचंभे से ताका।

"अब तू ऐसे मत देख! इससे रिश्ते मजबूत होते हैं। और ये कड़वा सत्य है।"
वह दो टूक कहने को तो कह गयीं, लेकिन बेटी के सामने अचानक दोहरे चरित्र के इस खुलासे ने उन्हें थोड़ा सा शर्मिंदा कर दिया।


"खैर ..., ये तो अपनी-अपनी सोच है अम्माँ! लेकिन यदि ये कड़वा सत्य है तो इसे नकारूंगी नहीं। " उसने कुछ ढूढ़ते हुए , गांभीर्य भाव से कहा।

"देखा-देखा..,तू भी मान गयी ना।"
बेटी की सहमति ने बात को बल दिया, तो शकुंतला देवी जबर हो गईं।
"अम्माँ..., देखो जरा ये कंगन !कैसे लगे?"
उसने बटुए में से दो कीमती कंगन अम्माँ के हाँथ में रख ख़ुश्क स्वर में पूछा।
"अरे वाह...,बहुत सुंदर कंगन हैं। बहुत मँहगे लगते हैं !! "

"हाँ बहुत महँगे हैं , बस एक नजर में पसंद आये तो अपने लिए ले लिए थे।"
" भगवान बुरी नजर से बचाये, तेरी कलाइयों में सजेगें भी खूब।"

वह बिटिया के वैभव पर बलाएं लेती हुईं बोलीं।
" अब भाभी की नजर उतारना अम्माँ! क्योंकि ये मेरी कलाइयों पर नहीं , भाभी की कलाइयों पर सजेगें।"

Views: 626

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Rahila on March 4, 2018 at 4:07pm

बहुत शुक्रिया आदरणीय रवि सर जी! आपकी रचना पर उपस्थित देख कर मन हर्षित हुआ।सादर

Comment by Ravi Prabhakar on March 4, 2018 at 8:13am

सार्थक लघुकथा है राहिला जी । लघुकथा का शीर्षक चयन बहुत पसंद आया । सादर बधाई स्‍वीकार करें ।

Comment by Rahila on March 3, 2018 at 8:17pm

बहुत शुक्रिया आदरणीय लक्ष्मण सर जी!

Comment by Rahila on March 3, 2018 at 8:17pm

बहुत शुक्रिया आदरणीया राजेश दीदी!

Comment by Rahila on March 3, 2018 at 8:16pm

बहुत शुक्रिया आदरणीय कबीर साहब!

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 3, 2018 at 10:56am

सिर्फ नमन...


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on March 1, 2018 at 6:51pm

प्रिय राहिला जी ननद भाभी के रिश्तों को लेकर बहुत ही अच्छी लघु कथा लिखी है हार्दिक बधाई औरते ही औरतों के बीच में कलुषता भरती हैं ये बात एक दम सत्य है | 

Comment by Samar kabeer on March 1, 2018 at 2:13pm

मोहतरमा राहिला जी आदाब,सुंदर प्रस्तुति हेतु बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय सौरभ सर, क्या ही खूब दोहे हैं। विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . शृंगार

दोहा पंचक. . . . शृंगारबात हुई कुछ इस तरह,  उनसे मेरी यार ।सिरहाने खामोशियाँ, टूटी सौ- सौ बार…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।प्रदत्त विषय पर सुन्दर प्रस्तुति हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"बीते तो फिर बीत कर, पल छिन हुए अतीत जो है अपने बीच का, वह जायेगा बीत जीवन की गति बावरी, अकसर दिखी…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे,  ओ यारा, ओ भी क्या दिन थे। ख़बर भोर की घड़ियों से भी पहले मुर्गा…"
yesterday
Ravi Shukla commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज जी एक अच्छी गजल आपने पेश की है इसके लिए आपको बहुत-बहुत बधाई आदरणीय मिथिलेश जी ने…"
Sunday
Ravi Shukla commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय मिथिलेश जी सबसे पहले तो इस उम्दा गजल के लिए आपको मैं शेर दर शेरों बधाई देता हूं आदरणीय सौरभ…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service