For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आज फिर अब्बू सुबह सुबह शुरू हो गए थे, “तुझे फौजी ही बनना चाहिए, और कुछ नहीं”. 

दरअसल आज फिर अखबार के पहले पन्ने पर छपा था कि दहशतगर्दों से लड़ाई में कई फौजी शहीद हो गए और उनकी अन्त्येष्टि पूरे राजकीय सम्मान के साथ की जाएगी.
पिछले कई दिन से वह अपने प्ले के रिहर्सल में लगा हुआ था. वर्तमान राजनीति और धर्म के घालमेल के दुष्परिणाम पर आधारित उसका प्ले, जिसे खुद उसी ने लिखा था. और अपने कुछ रंगकर्मी दोस्तों के साथ आने वाले स्वतन्त्रता दिवस पर लोगों के सामने प्रदर्शित करने की पुरजोर कोशिश में दिन रात लगा हुआ था.
“अब्बू, जरूरी नहीं कि लड़ाई सीमा पर और हथियार से ही लड़ी जाये. जो अपने होकर भी देश को खोखला कर रहे हैं, उनका विरोध भी उतना ही जरूरी है”, उसने अब्बू को समझाने की कोशिश की.
अब्बू कुछ देर तक सोचते रहे, कल सड़क पर की घटना उनकी आँखों में तैर गयी. रास्ते में कुछ शोहदे, जो खड़े होकर ठहाके लगा रहे थे, उनको देखते ही बोले “मियाँ, एक झण्डा लेते जाओ, इस बार अपने घर पर जरूर फहरा देना”.
“जरा अपने प्ले को मुझे देना पढ़ने के लिए, संदेश बिलकुल सही होना चाहिए इसका”, अब्बू की आवाज़ पर वह चौंक गया. अपने प्ले की सफलता के लिए उसके मन में अब कोई संशय नहीं था.


मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 561

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विनय कुमार on August 15, 2018 at 6:18pm

बहुत बहुत आभार आ बबीता गुप्ता जी

Comment by babitagupta on August 15, 2018 at 4:20pm

आज लड़ाई सरहद से ज्यादा आंतरिक लड़ाई को सुलझाने की हैं.बेहतरीन रचना स्वीकार कीजियेगा आदरणीय सरजी।

Comment by विनय कुमार on August 10, 2018 at 5:02pm

बहुत बहुत आभार आ मुहतरम जनाब समर कबीर साहब

Comment by विनय कुमार on August 10, 2018 at 5:01pm

बहुत बहुत आभार आ शेख शहज़ाद उस्मानी जी

Comment by विनय कुमार on August 10, 2018 at 5:01pm

बहुत बहुत आभार आ डॉ विजय शंकर जी

Comment by Samar kabeer on August 10, 2018 at 1:48pm

जनाब विनय कुमार जी आदाब,अच्छी लघुकथा हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on August 9, 2018 at 6:37pm

समयानुकूल बढ़िया विमर्श के साथ उम्दा बढ़िया सृजन हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय विनय कुमार साहिब।

Comment by Dr. Vijai Shanker on August 9, 2018 at 6:33pm

आदरणीय विनय कुमार जी , बहुत सरल शब्दों में गहरी बात। बहुत अच्छी लघु-कथा बनी , हार्दिक बधाई , सादर।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 184 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। विस्तृत टिप्पणी से उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
yesterday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service