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ग़ज़ल (पुलवामा के शहीदों को श्रद्धांजलि)

ग़ज़ल (पुलवामा के शहीदों को श्रद्धांजलि)

देके सर हम हो गए दुनिया से रुखसत दोस्तो l
तुम को करनी है वतन की अब हिफाज़त दोस्तो l

बाँध कर बैठो कफ़न अपने सरों पर हर घड़ी
सामने ना जाने कब आ जाए आफ़त दोस्तो l

उन दरिंदों का मिटा दें दुनिया से नामो निशां
मुल्क में फैला रहे हैं जो भी दहशत दोस्तो l

उसको मत देना मुआफ़ी मौत देना है उसे
जिसने पुलवामा में की है नीच हरकत दोस्तो l

हम को उनकी ईंट का पत्थर से देना है जवाब
ढा रहे हैं सरहदों पर जो क़यामत दोस्तो l

ये हैं दहशत गर्द क्या जानें भला इंसानियत
इनको अब उलफत नहीं दिखलाओ ताक़त दोस्तो l

मत करो आगे भरोसा तुम पड़ोसी देश पर
धोका देना बन गई है उसकी फितरत दोस्तो l

उनसे बदला खून का लेना है हम को खून से
दी जवानों को जिन्होंने हाए रिहलत दोस्तो 

जो सदा धोका ही दे कहना है ये तस्दीक का
उसकी जानिब मत बढ़ाओ दस्ते उलफत दोस्तो l

(मौलिक व अप्रकाशित)

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Comment by Tasdiq Ahmed Khan on March 4, 2019 at 7:37pm

जनाब बलराम साहिब  , ग़ज़ल पसंद करने और आपकी हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया I 

Comment by Balram Dhakar on March 2, 2019 at 12:38pm

आदरणीय तसदीक़ साहब, बहुत बहुत बधाई इस बेहतरीन ग़ज़ल के लिए । 

दाद के साथ मुबारकबाद कुबूल फरमाएँ।

सादर।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on February 21, 2019 at 6:41pm

जनाब डॉक्टर छोटे लाल साहिब, श्रद्धांजलि की ग़ज़ल पसंद करने और आपकी हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया I

Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on February 21, 2019 at 5:14pm

आदरणीय तस्दीक अहमद खान साहब बहुत ही बेहतरीन श्रद्धांजलि बधाई कुबूल कीजिए

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on February 20, 2019 at 11:05pm

मुहतरम जनाब समर साहिब आ दाब, ग़ज़ल पसंद करने और आपकी हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया I 

Comment by Samar kabeer on February 20, 2019 at 10:46pm

जनाब तस्दीक़ अहमद साहिब आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on February 20, 2019 at 2:13pm

जनाब दिगंबर नासवा साहिब, ग़ज़ल पर आपकी सुंदर प्रतिक्रिया और हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया I 

Comment by दिगंबर नासवा on February 20, 2019 at 12:08pm

बेहतरीन शेर गज़ल के ... अमर सैनिकों को शब्दों की सच्ची श्रधांजलि ...

दिल से लिखा हर शेर ... 

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on February 20, 2019 at 8:11am

जनाब दया राम साहिब, श्रद्धांजलि की ग़ज़ल पसंद करने और आपकी हौसला अफज़ाई का बहुत बहुत शुक्रिया I 

Comment by Dayaram Methani on February 19, 2019 at 10:23pm

आदरणीय तस्दीक अहमद खान जी, बहुत सुंदर भाव से आेतप्रेत गज़ल के लिए बधाई।

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